काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दी जाएंगी 13,450 डिग्रियां
12 दिसंबर को बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह, मुख्य अतिथि होंगे डॉ. वी. के. सारस्वत
विभिन्न संस्थानों और संकायों में भी आयोजित होंगे समारोह 12 से 14 दिसंबर तक दी जाएंगी डिग्रियां
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय 12 दिसंबर, 2025, शुक्रवार को अपना 105वां दीक्षांत समारोह आयोजित करने के लिए तैयार है। इस वर्ष के समारोह से कुल 13,450 डिग्रियां प्रदान की जाएगी। मुख्य समारोह स्वातंत्रता भवन में सुबह 11.00 बजे से आयोजित किया जाएगा। बुधवार को केंद्रीय कार्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह की प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि समारोह के दौरान मंच से 29 पदक प्रदान किए जाएंगे। इनमें 2 चांसलर पदक, 2 स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक और 29 बीएचयू पदक मेधावी छात्रों को प्रदान किए जाएंगे।



कुलपति ने बताया कि दीक्षांत केवल शैक्षणिक डिग्री का औपचारिक समापन नहीं, बल्कि एक विद्यार्थी के जीवन का वह महत्वपूर्ण क्षण है, जो वर्षों के परिश्रम का परिणाम होने के साथ ही एक नई यात्रा की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि बीएचयू इस बात पर गौरवान्वित है कि वह विद्यार्थियों को ऐसे तैयार कर रहा है जो पेशेवर उपलब्धियों के साथ साथ मजबूत नैतिक मूल्यों का भी पालन करते हैं। कहा कि बीएचयू के विद्यार्थी और पूरा छात्र विश्वविद्यालय से आजीवन भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं। क्योंकि ’बीएचयू का अनुभव केवल शिक्षण और शोध पर आधारित नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण और सामुदायिक भावना पर भी आधारित है। कुलपति ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के आधिकारिक पुराछात्र पोर्टल www.alumni.bhu.in से जुड़ कर विश्वविद्यालय समुदाय से जुड़े रहने और विश्वविद्यालय के शविष्य के विकास में योगदान देते रहने के लिए प्रेरित किया।

परीक्षा नियंता प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने बताया कि प्रशासन ने समारोह को सफल बनाने के लिए संकाय, विभागों और अन्य इकाइयों के साथ व्यापक समन्वय किया है। परंपरागत दीक्षांत पोशाक, साफा और उत्तरीय का वितरण संकाय स्तर पर बहुत व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विजय कुमार सारस्वत, सदस्य, नीति आयोग और जेएनयू के कुलाधिपति, एक प्रख्यात रक्षा वैज्ञानिक हैं। डॉ. सारस्वत ने भारत के स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों, बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम और कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे डीआरडीओ के सचिव भी रह चुके हैं और वैकल्पिक ऊर्जा, सुपरकंप्यूटिंग, सिलिकॉन फोटोनिक्स, भारतीय माइक्रोप्रोसेसर और मेथनॉल अर्थव्यवस्था जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी मार्गदर्शन देते रहे हैं। पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. सारस्वत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयासों को सलाहकार की भूमिका के माध्यम से निरंतर दिशा देते रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मुख्य दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय के विभिन्न संस्थानों और संकायों द्वारा उपाधि वितरण समारोह विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किये जाएंगे। यह समारोह 12 से 14 दिसंबर तक आयोजित किये जाएंगे, जिनमें विशिष्ट शिक्षाविद व गणमान्य अतिथि विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के लिए सम्मानित करेंगे। इस वर्ष के दीक्षांत समारोह में 7,364 स्नातक, 5,459 स्नातकोत्तर, 712 पीएचडी, 4 एम फिल और डॉ. ऑफ साइंस की उपाधि प्रदान की जाएगी। डॉ. ऑफ साइस की डिग्री चिकित्सा संकाय में प्रदान की जा रही है। सभी संस्थानों व संकायों में कुल 554 पदक प्रदान किए जाएंगे। दीक्षांत समारोह का सीधा प्रसारण बीएचयू की वेबसाइट (www.bhu.ac.in) और विश्वविद्यालय के आधिकारिक YouTube चैनल (@bhusocialmedia) पर किया जाएगा।
बताया कि डॉ. विजय कुमार सारस्वत एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं जिनके पास रक्षा अनुसंधान में बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान दोनों में कई दशकों का व्यापक अनुभव है। डॉ. सारस्वत का कैरियर शानदार रहा है और उन्हें पृथ्वी, धनुष, प्रहार, और अग्नि-5 जैसी मिसाइलों; दो स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के स्वदेशी विकासः हल्के लड़ाकू विमान तेजस; और परमाणु पनडुब्बी (सबमरीन) आईएनएस अरिहंत की प्रारंभिक संचालन मंजूरी का श्रेय दिया जाता है। नीति आयोग के सदस्य के रूप में डॉ, सारस्वत ने परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और रसायनों और उर्वरकों आदि के उत्पादन के लिए ’मेथनॉल इकोनॉमी’ कार्यक्रम शुरू किया। उन्हें पद्म श्री (1998) और पद्म भूषण (2013) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
