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राहुल गांधी की कथित दोहरी नागरिकता पर कोर्ट का फैसला- याचिका निस्तारित, याची को अन्य कानूनी विकल्प की छूट

याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के सबूत पेश किए थे

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हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याची को वैकल्पिक कानूनी मार्ग अपनाने की अनुमति दी

सीबीआई जांच और सांसद पद रद्द करने की भी थी मांग

लखनऊ, भदैनी मिरर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कथित दोहरी नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए याची एस. विग्नेश शिशिर को अन्य विधिक विकल्प अपनाने की स्वतंत्रता दी है।

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क्या कहा कोर्ट ने?

सोमवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार यह स्पष्ट करने में असमर्थ रही है कि राहुल गांधी की नागरिकता से संबंधित शिकायत को कब तक निस्तारित किया जाएगा। ऐसे में इस याचिका को विचाराधीन रखने का अब कोई औचित्य नहीं रह जाता। कोर्ट ने कहा कि याची अपने स्तर पर वैकल्पिक कानूनी रास्ते अपनाने के लिए स्वतंत्र है।

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पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को 10 दिन के भीतर इस मामले में याची द्वारा दायर प्रतिवेदन पर अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय की ओर से एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी, लेकिन उसमें शिकायत को निपटाने की समय-सीमा स्पष्ट नहीं की गई थी। इसी वजह से न्यायालय ने अब याचिका को निस्तारित कर दिया है।

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क्या है मामला?

यह याचिका कर्नाटक निवासी एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दाखिल की गई थी। याची का दावा है कि उसके पास ऐसे दस्तावेज और ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजे गए ईमेल मौजूद हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। इसी आधार पर याची ने राहुल गांधी के लोकसभा सदस्य पद को अवैध घोषित करने की मांग की थी।


सीबीआई जांच की भी मांग

याची ने यह भी मांग की थी कि राहुल गांधी की कथित दोहरी नागरिकता को भारतीय न्याय संहिता (BNS) और पासपोर्ट अधिनियम का उल्लंघन मानते हुए सीबीआई को केस दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि यदि आरोप सही हैं, तो राहुल गांधी चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं और लोकसभा सदस्य पद पर नहीं रह सकते।

कोर्ट ने कहा कि कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं दी जा रही है, तो याचिका लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। न्यायालय ने याची को कानूनी विकल्प अपनाने का निर्देश देते हुए मामला बंद कर दिया।

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