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ब्रह्मलीन हो गये 129 वर्षीय योग गुरू पद्मश्री बाबा शिवानंद

दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीरनगर स्थित आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया पार्थिव शरीर

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शिष्यों के साथ टू बीएचके फ्लैट में बाबा रहते थे, नाम था शिवानंद आश्रम 

बाबा के ब्रह्मलीन होने की सूचना मिलते ही भक्त हुए शोकाकुल

वाराणसी, भदैनी मिरर। योग गुरू और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त बाबा शिवानंद ने शनिवार को करीब 129 वर्ष की आयु में अपना शरीर छोड़ दिया और ब्रह्मलीन हो गये। भेलूपुर थाना क्षेत्र के दुर्गाकुंड के पास कबीरनगर के टू बीएचके फ्लैट में बाबा रहते थे। बाद में इसे बाबा शिवानंद आश्रम का नाम दिया गया। उनके शरीर छोड़ने के बाद शव को उनके आश्रम में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। बाबा के परलोक गमन की सूचना मीडिया के जरिए लोगों का मिलते ही उनके लोग उनके आश्रम पहुंचने लगे हैं। विशिष्ट और अतिविशिष्ट लोगों के भी आने का दौर  शुरू हो चुका था। 

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तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था सम्मानित

129 साल के योग गुरु बाबा शिवानंद जी महाराज को राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्श्री से सम्मानित किया था। बाबा शिवानंद वाराणसी के कबीर नगर इलाके के एक वन बीएचके फ्लैट में रहते थे। इस फ्लैट जिनमें वह शिष्यों के साथ रहते थे और उसका नाम अब शिवानंद आश्रम है। पद्मश्री सम्मान प्राप्त कर बाबा जब वह वाराणसी लौटे थे तो बाबतपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से कहा था-योग के क्षेत्र में दिया गया यह सम्मान लोगों को स्वस्थ रहने और बेहतर दिनचर्या जीने के लिए प्रेरित करेगा। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इसके लिए चुना गया। शिवानंद बाबा ने कहा था कि योग जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। योग के साथ नियमित दिनचर्या का बेहतर होना बहुत जरूरी है। मैं इस उम्र में भी नियमित रूप से आधा घंटा योग करता हूं। पहले यह 3 घंटे फिर उम्र बढ़ने के बाद 2 घंटे और अब इतनी उम्र के बाद भी मैं आधा घंटा योग करके अपने आपको फिट रखने की कोशिश करता हूं। जीवन में स्वस्थ रहने के लिए सभी को योग करना चाहिए और अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने के साथ 6 घंटे की नींद लेनी चाहिए। कम भोजन करें जो आप को स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान कर सके। 

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कहते थे कि योग ध्यान को बढ़ता है

उनका मानना था कि योग ध्यान को बढ़ाता है। इससे लोग एक तरफ केंद्रित हो पाते हैं। जब लोग किसी कार्य के प्रति केंद्रित होते हैं तो खुद ही अपने जीवन में सुधार महसूस करते हैं। योग के अलावा सबसे महत्वपूर्ण यह है अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना। लोगों की इच्छाएं अनंत हैं और इसकी वजह से उन्हें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 
 

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