वाराणसी। साइबर क्राइम थाना वाराणसी की टीम ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए उसके मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है। यह गैंग फर्जी ट्राई और सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों को “डिजिटल हाउस अरेस्टिंग” के नाम पर ठगता था। आरोपियों के पास से 2 मोबाइल फोन और ₹51,200 नगदी बरामद की गई है।
पीड़ित निहार पुरोहित ने 4 जुलाई को भेलूपुर थाने में मामला दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने बताया कि आरोपियों ने फर्जी ट्राइ अफसर बनकर उन्हें डिजिटल हाइस अरेस्ट कर ₹29 लाख की ठगी की। मामले की जांच प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम राजकिशोर पांडे के नेतृत्व में की गई। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और डीसीपी अपराध प्रमोद कुमार के निर्देश पर बनी विशेष टीम ने आरोपियों को वाराणसी में गिरफ्तार किया।
कैसे करते थे ठगी?
साइबर अपराधी पहले फर्जी ट्राई या सीबीआई अधिकारी बनकर पीड़ितों को फोन करते थे। वे फर्जी सिम कार्ड और अवैध गतिविधियों में फंसाने की धमकी देकर पीड़ितों को भ्रमित करते थे। इसके बाद, तथाकथित “वेरीफिकेशन” के नाम पर आरबीआई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाते थे। ठगी का पैसा अन्य खातों में ट्रांसफर कर अपने सिंडिकेट के जरिए निकाल लिया जाता था।
गिरफ्तार आरोपी फूल पुरी निवासी, जोधपुर, राजस्थान और मुश्ताक अली निवासी ओसियां, जोधपुर, राजस्थान के है। इनके पास पुलिस ने दो एंड्रॉइड मोबाइल फोन और ठगी के 51,200 नकद बरामद किया है।
गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक राजकिशोर पाण्डेय, निरीक्षक विपिन कुमार, निरीक्षक विजय कुमार यादव, उप निरीक्षक संजीव कन्नौजिया, उप निरीक्षक सतीश सिंह, हेड कॅास्टेबल /क.आ. श्याम लाल गुप्ता, हेड कॅास्टेबल गोपाल चैहान, कॅास्टेबल चन्द्रशेखर यादव, कॅास्टेबल देवेन्द्र यादव, कॅास्टेबल मनीष कुमार सिंह, कॅास्टेबल सूर्यभान सिंह, कॅास्टेबल अवनीश सिंह, कॅास्टेबल अंकित प्रजापति, कॅास्टेबल पृथ्वी राज सिंह, कॅास्टेबल अनिल कुमार मौर्य, कॅास्टेबल डॅा विजय कुमार ने भूमिका निभाई।