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Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

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Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें
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Mahakumbh 2025 : अगले साल जनवरी में प्रयागराज में संगम के पवित्र तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 (Mahakumbh 2025) तक चलने वाले इस आयोजन में 45 दिनों तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। महाकुंभ के दौरान कई शाही स्नान होंगे, जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्र और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इन स्नानों से न केवल पूर्वजों को शांति मिलती है, बल्कि भक्तों के पाप भी धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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महाकुंभ का महत्व और प्रकार

साल 2025 में आयोजित होने वाला यह मेला महाकुंभ कहलाता है। कुंभ मेले का आयोजन चार पवित्र स्थानों पर होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका स्थान कैसे तय किया जाता है?

Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

कुंभ मेला मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

  1. पूर्ण कुंभ मेला : हर 12 साल में आयोजित होता है।
  2. अर्द्धकुंभ मेला : हर 6 साल के अंतराल पर होता है। पिछला अर्द्धकुंभ मेला 2019 में प्रयागराज में आयोजित हुआ था।
  3. महाकुंभ मेला : यह हर 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। इसमें 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद यह आयोजन किया जाता है। 2025 में आयोजित होने वाला मेला महाकुंभ है।
Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

कुंभ मेला कहां और क्यों होता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश (कुंभ) जब पृथ्वी पर छलका, तो अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। ये स्थान हैं:

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  1. हरिद्वार
  2. प्रयागराज
  3. उज्जैन
  4. नासिक
Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान?

कुंभ मेला कहां होगा, यह नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। इसका निर्धारण सूर्य, चंद्रमा और गुरु ग्रह (वृहस्पति) की स्थिति के आधार पर किया जाता है। हिंदू धर्म में इन खगोलीय घटनाओं का विशेष महत्व है।

Mahakumbh 2025 : कैसे तय होता है कुंभ मेले का स्थान, जानें इससे जुड़ी रोचक बातें

आमतौर पर प्रयागराज और हरिद्वार में हर 6 साल के अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। इसे अर्द्धकुंभ और पूर्ण कुंभ मेला कहा जाता है। नासिक और उज्जैन में कुंभ मेले के आयोजन को लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ स्थानों पर इसे माघ मेला या मकर मेला के समकक्ष भी माना जाता है।

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2025 का महाकुंभ: एक ऐतिहासिक आयोजन

महाकुंभ मेला सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और खगोलीय विज्ञान का भी प्रतीक है। इस बार का महाकुंभ, जो 144 वर्षों में एक बार आता है, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव लेकर आएगा।

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