आजादी क्या होती है यह भारत के लोग जानते है, लेकिन हम जैसे लोग नहीं-डोल्मा गायरी
तिब्बत की रक्षामंत्री ने भावुक होकर किये कई सवाल, बताया तिब्बतियों का दर्द
कैलाश मानसरोवर की मुक्ति और तिब्बत की स्वतंत्रता को लेकर मंथन
वाराणसी, भदैनी मिरर। कैलाश मानसरोवर की मुक्ति और तिब्बत की स्वतंत्रता को लेकर मंगलवार को संत कबीर प्राकट्य स्थली लहरतारा में शिवधाम कैलाश मानसरोवर तिब्बत फ्रीडम एसोसिएशन (काशी प्रांत) के तत्वावधान में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि तिब्बत सरकार की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी के साथ कई गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए।



इस मौके पर उन्होंने भावक होकर कहाकि आजादी क्या होती है यह भारत के लोग जानते है। लेकिन हम जैसे लोग नहीं जानते, जो अपने माता पिता के घर नहीं जा सकते। हमारे नौजवान ही हमारी आशा की किरण है, तिब्बत की रक्षा मंत्री डोल्मा डायरी ने तिब्बत की मौजूदा स्थिति और भारत के साथ सम्बन्ध के साथ तिब्बतियों के दर्द के साथ वहां के युवाओं की भावनाओं को बताया। कैलाश मानसरोवर को चीन से मुक्त किए जाने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि स्वतंत्रता क्या होता है ? यह हम जैसे लोग समझ सकते है, जिनके पास अपना देश होकर भी नहीं होता।


भारत के लोग कश्मीर से कन्याकुमारी, मुंबई और गोवा जा सकते है। मैं भी चाहती हूं कि मैं अपने माता पिता के घर और कैलाश मानसरोवर पर बिना रोक-टोक के जांय। मौजूदा समय में यह स्थिति नहीं है। तिब्बत के लोग ही इसका दर्द समझ सकते हैं। हिन्दुस्तान के नौजवान पहले की तरह बिना रोक टोक कैलाश मानसरोवर जाने की मांग करते हैं। कैलाश मानसरोवर सहित पूरे तिब्बत को लेकर हमारी बात चीन से चल रही है। हमारे देश के नौजवान भी कहते है कि इतने दिनों से चीन से बात चल रही है, क्या हुआ ? हमसे सवाल किया जाता है। उन्होंने कहाकि भारत को लेकर भी लोग सवाल करते हैं, कि भारत के पास इतनी बड़ी सेना है तो वह आक्रमण क्यों नहीं करती ? लेकिन सभी के साथ एक लिमिटेशन होती है। हमें उस लिमिटेशन में रखकर सभी कार्यों को करना चाहिए। भारत के नौजवान हमारी आशा कि किरण हैं। हिन्दुस्तान तिब्बत के लिए सबसे ग्रेट नेशन है और भारत के प्रधानमंत्री को हम सिर पर रखकर चलते हैं।


तिब्बत की रक्षा मंत्री ने बताया कि दलाई लामा जी 1959 में भारत आये तो तिब्बत की जनसंख्या 6 मिलियन थी। उसमें से एक लाख भी उनके साथ नहीं आये थे। वह सिर्फ 60 से 80 हजार लोग निर्वासित होकर भारत पहुंचे। ज्यादातर लोग अभी भी चीन के कब्जे में तिब्बत में हैं। 2009 से नॉन वॉयलेंस प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बाहर आंदोलन चल रहा है। वहीं अब नया चैप्टर मानसरोवर मुक्ति का मानवेन्द्र सिंह लेकर आये हैं। इससे तिब्बत की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। बता दें कि राष्ट्रीय अधिवेशन में यूपी समेत विभिन्न प्रदेशों से डेलीगेट्स इस अधिवेशन में पहुंचे थे। जो इस आंदोलन के लिए अपनी टीम बनाएंगे। डोल्मा गायरी ने कहा कि शिव, महादेव, शंकर, भोलेनाथ सभी एक हैं। शिव के रूप अनेक हैं, और हम सभी उनसे जुड़े हैं। बौद्ध भी शिव को उतना ही मानते हैं।

उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है। चीन लद्दाख से अरुणाचल तक जमीन हड़प रहा है। वह जमीन भारत की ही तो है। चीन के मन में क्या है, यह बात नहीं है, बल्कि चीन आखिर कर क्या रहा है। चीन लैंड माफिया की तरह जमीन कब्जा करता है। वह आता है, धमकाता है और फिर थोड़ी-थोड़ी करके जमीन हड़प लेता है। 1962 में भारत की संसद में क्या प्रस्ताव पारित किया गया था कि एक-एक इंच जमीन हम चीन से वापस लेंगे। एसडीटीएफए के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह मानव ने बताया कि कैलाश मान सरोवर की यात्रा और सहजता के लिए देश में कई मंथन शिविर हो चुके हैं। भारत की भूमि तिब्बत पर चीन ने अपनी चतुराई से कब्जा जमाया हुआ है। उसी को लेकर कैलाश मानसरोवर और तिब्बत को मुक्त करवाए जाने की मांग की जा रही है।
