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शांत दिखता है चांद, मगर दक्षिणी ध्रुव पर 3000 डिग्री तक तापमान, इसरो का खुलासा

दिखा प्लाज्मा का तूफान से बदली चांद के बारे में धारणा

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विक्रम लैंडर पर लगे ‘रंभा-एलपी’ (RAMBHA-LP) पेलोड ने जो डेटा भेजा

नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-3 ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। अब तक हम चांद को एक शांत और ‘बेजान’ जगह मानते थे, लेकिन इसरो (ISRO) की नई रिपोर्ट ने इस धारणा को बदल दिया है। विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने पुष्टि की है कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव (South Pole) ‘जिंदा’ है और वहां सतह के ठीक ऊपर एक इलेक्ट्रिकली एक्टिव (Electrically Active) वातावरण मौजूद है। 23 अगस्त से 3 सितंबर 2023 के बीच विक्रम लैंडर पर लगे ‘रंभा-एलपी’ (RAMBHA-LP) पेलोड ने जो डेटा भेजा है। 

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चंद्रयान-3 की यह बड़ी उपलब्धि है कि विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक 'जिंदा' और इलेक्ट्रिकली एक्टिव वातावरण पाया है, जहाँ सतह के करीब प्लाज्मा की मौजूदगी है और इलेक्ट्रॉनों का तापमान 3,000 से 8,000 केल्विन (लगभग 2727°C से 7727°C) तक है, जो सौर हवाओं और मैग्नेटोटेल से आने वाले कणों के कारण है, और यह भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए एक बड़ी खोज है। यह पहले के अनुमानों से काफी गतिशीलहै। यह परिणाम दक्षिणी उच्च अक्षांशों में चंद्रमा की सतह के इतने करीब चंद्र प्लाज्मा का पहला प्रत्यक्ष माप हैं। लैंडिंग स्थल (जिसे 'शिव शक्ति बिंदु' कहा जाता है) के पास 380 से 600 कण प्रति घन सेंटीमीटर के बीच इलेक्ट्रॉन घनत्व पाया गया, जो पिछले उपग्रह-आधारित अनुमानों से काफी अधिक है।

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इसरो ने बताया कि सौर हवाओं से आवेशित कणों की निरंतर बमबारी और चंद्रमा के मैग्नेटोटेल से कणों के जमाव के कारण सतह के पास एक लगातार बदलता और गतिशील विद्युत वातावरण बनता है। पता लगाए गए इलेक्ट्रॉन अत्यधिक ऊर्जावान थे, जिनका तापमान 3,000 से 8,000 केल्विन के बीच था। सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से निकलने वाली आवेशित कणों (मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉन, हाइड्रोजन और हीलियम आयन) की निरंतर धारा, जिसे सौर पवन कहते हैं, चंद्रमा की सतह पर लगातार टकराती रहती है। यह प्रकाश विद्युत प्रभाव के साथ मिलकर, प्लाज्मा के निर्माण का प्राथमिक तंत्र है।

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इसरो ने बताया कि बताया कि चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्र से उत्पन्न आवेशित कणों के जमाव से चंद्र प्लाज्मा और भी प्रभावित होता है । जब चंद्रमा उस क्षेत्र से गुजरता है (आमतौर पर 28 दिनों की अवधि के दौरान 3-5 दिन), जिसके परिणामस्वरूप सतह के पास लगातार बदलता और गतिशील विद्युत वातावरण बनता है। चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का तीसरा चंद्र मिशन है, जिसने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना दिया है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। 


 

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