Home वाराणसी IMS-BHU के डॉक्टरों ने 65 वर्षीय मरीज के जटिल वीएसडी को डिवाइस क्लोजर से किया सफल इलाज, मायोकार्डियल इंफार्क्शन से जूझ रहा था मरीज

IMS-BHU के डॉक्टरों ने 65 वर्षीय मरीज के जटिल वीएसडी को डिवाइस क्लोजर से किया सफल इलाज, मायोकार्डियल इंफार्क्शन से जूझ रहा था मरीज

by Ankita Yadav
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वाराणसी: आईएमएस बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दिया है। प्रो. विकास अग्रवाल, डॉ. प्रतिभा राय, डॉ. सृष्टि, और डॉ. अर्जुन की अनुभवी टीम ने 65 वर्षीय मरीज के वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) को सफलतापूर्वक डिवाइस क्लोजर के माध्यम से ठीक किया। मरीज हाल ही में मायोकार्डियल इंफार्क्शन (हार्ट अटैक) से उबर रहा था। इस उपलब्धि को इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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मरीज की उपचार प्रक्रिया में न केवल वीएसडी डिवाइस क्लोजर शामिल था, बल्कि अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों के लिए एंजियोप्लास्टी भी की गई। डॉक्टरों की कुशलता और समर्पण के चलते मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपनी दैनिक गतिविधियों में लौट आया है।

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क्या है वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी)

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वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) हृदय की उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें हृदय के दाएं और बाएं हिस्सों को अलग करने वाले वेंट्रिकुलर सेप्टम में छेद हो जाता है। यह समस्या मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) के बाद होने वाली एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है। वेंट्रिकुलर सेप्टम हृदय में ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित रक्त को अलग रखने का कार्य करता है। यदि इसका रक्त प्रवाह प्रभावित हो, तो सेप्टम में नेक्रोसिस और फिर रुप्चर हो सकता है, जिससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है।

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नए तकनीकी समाधान ने घटाया जोखिम

डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि पोस्ट-एमआई वीएसडी क्लोजर करना विशेष रूप से बुजुर्ग मरीजों में अत्यधिक जटिल होता है। हालांकि, कैथ लैब तकनीकों में हुई प्रगति** के चलते अब यह प्रक्रिया बिना किसी बड़े चीड़-फाड़ के, न्यूनतम खतरे के साथ की जा सकती है।

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सीटीवीएस विभाग के प्रमुख प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया ने कहा, “पहले इस प्रकार के मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती थी, जो मरीज के लिए अत्यधिक जोखिम भरी होती थी। लेकिन अब नई तकनीकों ने इन जटिलताओं को सुलझाना संभव बना दिया है।”

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मरीज की वर्तमान स्थिति

मरीज को उपचार के बाद नियमित फॉलोअप में रखा गया, और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा क्षेत्र में आईएमएस बीएचयू की प्रगति को रेखांकित करती है, बल्कि गंभीर हृदय समस्याओं के लिए नई उम्मीद भी जगाती है।

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