वाराणसी भदैनी मिरर। शतचंडी महायज्ञ और शिव महापुराण कथा के सप्तमी दिवस पर भक्तों का अद्भुत जनसैलाब मां अष्टभुजा मंदिर और रामलीला मैदान में उमड़ा। भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर इस पावन आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।


याज्ञाचार्य पंडित हरीकेश पाण्डेय ने शतचंडी महायज्ञ की महिमा बताते हुए कहा कि मां दुर्गा ने महाकाली रूप में राक्षसों का संहार किया, जिसका विस्तार से वर्णन मार्कंडेय पुराण के श्री दुर्गा सप्तशती में मिलता है। उन्होंने बताया कि 108 बार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शतचंडीपाठ महायज्ञ होता है, 1000 बार करने पर सहस्रचंडी महायज्ञ और एक लाख बार करने पर लक्ष्यचंडी महायज्ञ संपन्न होता है।


शिव महापुराण कथा में बालव्यास आयुष कृष्ण नयन जी महाराज ने भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह के उपरांत माता पार्वती की विदाई का हृदयस्पर्शी वर्णन किया। उन्होंने कन्या के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक कन्या का जीवन पिता और पति – दोनों के घर में बंटा होता है। समाज में नारी का स्थान भगवती के समान माना गया है और महाभारत में भगवान वेदव्यास ने कहा है कि “दश पुत्र समा कन्या”, अर्थात एक कन्या दस पुत्रों के समान होती है। इसलिए नारी का सम्मान समाज में सर्वोपरि होना चाहिए।



कथा में आगे भगवान कार्तिकेय के जन्म और भगवान गणेश की मातृ-पितृ भक्ति का मार्मिक वर्णन किया गया। श्रद्धालु भक्तों ने भक्ति रस में डूबकर कथा का श्रवण किया और धर्म, आस्था एवं नारी सम्मान का संदेश ग्रहण किया।


