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BHU में पूर्वांचल की पहली दुर्लभ हार्ट बाईपास सर्जरी, डॉक्टर रत्नेश कुमार ने किया विशुद्ध आर्टेरियल ग्राफ्ट का प्रयोग

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हृदय रोगियों के लिए उपलब्ध हुई विश्वस्तरीय तकनीक, 20 वर्षों तक असरकारी आरटीरियल ग्राफ्ट से सफल बाईपास सर्जरी

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वाराणसी(भदैनी मिरर)। 
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में पूर्वांचल में पहली बार एक दुर्लभ और विश्वस्तरीय हृदय बाईपास सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। यह उपलब्धि कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रत्नेश कुमार के नेतृत्व में प्राप्त हुई है, जिन्होंने विशुद्ध आर्टेरियल ग्राफ्ट तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
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इस जटिल ऑपरेशन में संज्ञाहरण टीम का नेतृत्व डॉ. प्रतिमा राठौर एवं डॉ. संजीव कुमार ने किया। यह बाईपास सर्जरी एक युवा मरीज, जिसे दिल का दौरा पड़ा था, के लिए की गई। एंजियोग्राम में उसकी मुख्य और तीनों कोरोनरी धमनियों में रुकावट पाई गई, जिसके बाद उसे CTVS विभाग में रेफर किया गया।
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दुनिया भर में हृदय बाईपास सर्जरी में सामान्यतः छाती की दीवार की एक आर्टरी और पैरों से दो वेन्स (veins) का प्रयोग किया जाता है। लेकिन 90% वेन ग्राफ्ट 10 वर्षों में ब्लॉक हो जाते हैं, जिससे मरीज को बार-बार हार्ट अटैक और मौत का खतरा बना रहता है।
इसके विपरीत, इस नई तकनीक में उपयोग किए गए विशुद्ध आरटीरियल ग्राफ्ट 20 वर्षों से अधिक समय तक कार्यशील रहते हैं, जिससे मरीज को लंबा और स्वस्थ जीवन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। यह तकनीक अत्यंत उन्नत शल्य कौशल और अनुभव की मांग करती है, जिसे केवल कुछ ही सर्जन सफलतापूर्वक कर पाते हैं।
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डॉ. रत्नेश कुमार ने इस सफलता का श्रेय संज्ञाहरण टीम के उत्कृष्ट सहयोग के साथ-साथ CTVS विभागाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. संखवार के मार्गदर्शन व प्रोत्साहन को दिया।
प्रक्रिया के दौरान सहयोग देने वालों में पर्फ्यूज़निस्ट श्री दिनेश मैती, आशुतोष पांडेय, नर्सिंग स्टाफ में आनंद कुमार, त्रिवेंद्र त्यागी, राहुल, सतेंद्र, दीपक, उमेश शामिल थे। साथ ही OT तकनीकी सहायक बैजनाथ पाल, ओम प्रकाश पटेल, अरविंद पटेल और MTS स्टाफ आशुतोष एवं अर्जुन की भूमिका भी सराहनीय रही।
यह सर्जरी सिर्फ एक मरीज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए एक स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक कदम है। BHU जैसे संस्थान में अब ऐसी विश्वस्तरीय हृदय सर्जरी तकनीक उपलब्ध है, जिससे न केवल जीवन बचेंगे, बल्कि रोगियों को दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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