
BHU अस्पताल के MS पर गंभीर आरोप लगाकर हटाने की मांग, कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
MRI टेंडर घोटाला, कोविड फंड की लूट, कायाकल्प योजना में धांधली और अस्पताल इकाइयों के निजीकरण का आरोप




वाराणसी, भदैनी मिरर। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल (SS Hospital) के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रोफेसर के. के. गुप्ता एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं। कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. ओम शंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डॉ. गुप्ता पर व्यापक भ्रष्टाचार, आपराधिक कार्यशैली, कोविड राहत फंड में वित्तीय घोटाले और संस्थागत संसाधनों के निजीकरण में संलिप्तता के गंभीर आरोप लगाए हैं।


प्रो. ओम शंकर ने कहा कि यह मामला न केवल बीएचयू की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि जनता के पैसों और मरीजों की जान से खिलवाड़ जैसा है। उनके अनुसार डॉ. गुप्ता के खिलाफ न्यायिक आदेश, जांच रिपोर्टें और आंतरिक विश्वविद्यालय समितियों की पुष्टि के साथ कई प्रमाण पहले ही सामने आ चुके हैं।


आरोपों की प्रमुख बिंदुवार जानकारी
1. MRI टेंडर घोटाला और फर्जी GST कंपनी को ठेका
- फर्जी GST नंबर वाली कंपनी को MRI सेवा का ठेका दिया गया, जबकि निविदा समिति ने इसका विरोध किया था।
- इस पर जिला न्यायालय ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिसे हाईकोर्ट ने भी निरस्त करने से इनकार कर दिया।
2. कोविड काल में PPE, दवाइयों में भारी अनियमितता
- GEM पोर्टल के बजाय स्थानीय बाजार से महंगी दरों पर सामान खरीदा गया।
- CAG रिपोर्ट और जांच रिपोर्टों में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई।
3. कायाकल्प योजना में टैक्सपेयर्स का पैसा बर्बाद
- कोटा स्टोन के ऊपर टाइल्स लगाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग।
- सुधार के नाम पर नाम मात्र काम, लेकिन करोड़ों खर्च किए गए।
4. CCI लैब का अवैध निजीकरण
- ब्लैकलिस्टेड और अनुभवहीन कंपनी को CCI लैब संचालन सौंपा गया।
- इससे मरीजों को उच्च दर पर घटिया सेवाएं मिल रही हैं।
5. कार्डियोलॉजी विभाग से 49 बेड हटा कर अन्यत्र हस्तांतरण

- चिकित्सा अधीक्षक ने निदेशक के स्पष्ट आदेश के बावजूद हृदय रोगियों से बेड छीने, जिससे मरीजों की मौत तक हो चुकी है।
6. एनएमसी के निर्देशों की अवहेलना
- ओटी में अवैध तरीके से भर्ती कराने के आदेश देकर गंभीर मरीजों की जान को जोखिम में डाला गया।
7. कर्मचारियों को दंडित करने की प्रवृत्ति
- विरोध करने वाले कर्मचारियों के प्रमोशन और वेतन वृद्धि रोकी गई, जिससे उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
प्रोफेसर ओम शंकर की मांगें
1. डॉ. के. के. गुप्ता को तत्काल मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पद से हटाया जाए।
2. उनके खिलाफ दर्ज मामलों में त्वरित गिरफ्तारी व कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. MRI और ब्लड बैंक टेंडर समेत सभी निविदा प्रक्रियाओं की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
4. बीएचयू प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।


