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बदलते मौसम में बच्चों की सेहत पर बढ़ते खतरे: कम उम्र में डायबिटीज के कारण, लक्षण और बचाव

बच्चों में मिर्गी के दौरे को लेकर डॉक्टर संजय चौरसिया ने दी जानकारी 

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भदैनी मिरर/विशेष संवाददाता

बदलते मौसम के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है और इसका सबसे पहला असर बच्चों पर दिखाई देता है. आजकल कम उम्र में ही डायबिटीज (Diabetes) और मिर्गी (Epilepsy) जैसी गंभीर बीमारियां बच्चों को अपनी चपेट में ले रही हैं। इन समस्याओं से बच्चों को कैसे बचाया जाए और इनके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं- इन सभी पहलुओं पर 'भदैनी मिरर' की टीम ने PMC हॉस्पिटल, रविंद्रपुरी के वरिष्ठ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय चौरसिया से खास बातचीत की।

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सवाल- बदलते हुए मौसम के साथ बच्चों में बीमारियां बढ़ती दिख रही हैं। क्या इसका कारण केवल मौसम है, या कुछ और भी जिम्मेदार हैं?
 

जवाब- डॅा संजय चौरसिया ने बताया कि बदलते मौसम में बच्चों की सेहत पर असर जरूर पड़ता है, लेकिन केवल मौसम ही जिम्मेदार नहीं है। असल में यह वायरल संक्रमणों (Viral Infections)  और पानी के माध्यम से फैलने वाली बीमारियों का भी मौसम होता है।

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PMC Dr Sanjay Chaurasiya


मौसम बदलते ही बढ़ जाती हैं ये दो तरह की बीमारियाँ


पिछले 12 सालों से प्रैक्टिस कर रहे पीएमसी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और वरिष्ठ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट पिछले डॉ. चौरसिया ने कहा कि इस समय दो प्रमुख बीमारियाँ देखने को मिलती हैं जिसमें-

1. वायरल फीवर-मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण बच्चों में तेज बुखार (High fever), सर्दी-खांसी (cold and cough) और गले में खराश (Sore throat) की शिकायतें आम हैं। कुछ मामलों में वायरल हेपेटाइटिस भी देखने को मिलता है।

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2. वॉटर बोर्न डिज़ीज़ – जैसे कि डायरिया (Diarrhea), टाइफाइड (Typhoid), हेपेटाइटिस (Hepatitis) ए और ई, जो दूषित पानी और भोजन से फैलते हैं। गर्मी में ऐसे जर्म्स अधिक सक्रिय हो जाते हैं।

 

 


सवाल : क्या साधारण बच्चों को भी मिर्गी के दौरे की समस्या हो सकती है?

 

जवाब- डॉ. चौरसिया ने कहा कि, हाँ, 3 से 5 साल तक के 3-4% बच्चों को कभी न कभी दौरे आ सकते हैं। अगर बुखार के साथ कुछ समय के लिए बच्चा बेहोश हो और फिर ठीक हो जाए, तो यह सामान्य हो सकता है। लेकिन लंबे समय तक बार-बार दौरे आना, सीज़र डिसऑर्डर की ओर इशारा करता है। इसके जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं, और कई बार संक्रमण या अन्य वजहें भी हो सकती हैं। सही इलाज और नियमित दवाओं से बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।


सवाल: क्या बच्चों में डायबिटीज हो सकती है?


जवाब- डॉ. चौरसिया ने बताया कि बिल्कुल, हालांकि यह कम होता है, लेकिन बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज होती है, जो जेनेटिक डिसऑर्डर है। इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। इसका एकमात्र इलाज इंसुलिन थेरेपी है। आजकल पेन इंसुलिन और ग्लूकोमीटर जैसी आधुनिक सुविधाओं से इलाज आसान हो गया है।
 

बचाव- डॉ. चौरसिया ने कहा कि बच्चों के माता-पिता जंक फूड से उन्हें दूर रखें, अच्छे फल-सब्जियाँ खिलाएं, और फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक फिट राष्ट्र बनाने के लिए ‘मूवमेंट फॉर हेल्दी इंडिया’ शुरू की थी।  इसके प्रति बच्चों को प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि  ‘क्विट जंक फूड मूवमेंट’ से जोड़े। अगर हम बच्चों की आदतें सुधारें, तो न केवल वे स्वस्थ रहेंगे बल्कि समाज भी मजबूत होगा।

 

 

 


विशेष क्लीनिक सेवाएं और बच्चों के लिए सुविधाएं

डॉ. चौरसिया ने बताया कि मैं पिछले 12 वर्षों से बच्चों की चिकित्सा सेवा में कार्यरत हूं। हम PMC हॉस्पिटल में नियमित OPD के साथ-साथ विशेष क्लीनिक सेवाएं भी चलाते हैं:
चाइल्ड अस्थमा क्लिनिक – हर महीने के दूसरे सोमवार को, जिसमें PFR की निशुल्क जांच होती है।
चाइल्ड न्यूरोलॉजी क्लिनिक – मानसिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मिर्गी आदि के लिए। यह क्लिनिक हर शनिवार सुबह 10 से 4 बजे तक चलता है। हम अब तक 50,000 से अधिक बच्चों को सेवाएं दे चुके हैं, जिनमें कई गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर वाले बच्चे शामिल हैं।

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