
सीपीआर से बच सकती है जान: कार्डियक अरेस्ट का पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम, परिवहन कर्मियों को दी गई ट्रेनिंग
9 मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने पर हो सकती है ब्रेन डेड




कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर समझना है अहम
वाराणसी,भदैनी मिरर। दिल की धड़कन रुकने की स्थिति यानी कार्डियक अरेस्ट में शुरुआती कुछ मिनटों में सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसी उद्देश्य से वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम रोडवेज, वाराणसी के क्षेत्रीय प्रबंधक परशुराम पांडेय की उपस्थिति में चालकों, परिचालकों और आम जनमानस को सीपीआर की लाइव प्रस्तुति के माध्यम से प्रशिक्षित किया।

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के बाद पहले तीन मिनट ‘गोल्डन टाइम’ होते हैं, जिसमें यदि सीपीआर दिया जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेड हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में काफी वृद्धि हुई है, और अब व्यायाम या नृत्य करते समय भी दिल का दौरा पड़ने के मामले सामने आ रहे हैं।


लाइव डेमो से सिखाई गई तकनीक
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर की लाइव डेमो दी। उन्होंने बताया कि पीड़ित को सीधा किसी ठोस सतह पर लिटाकर, छाती के बीच में प्रति मिनट 100-120 बार दबाव देना होता है। 30 बार छाती दबाने के बाद दो बार मुंह से सांस दी जाती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचार शुरू होता है।

सीपीआर क्या है?
सीपीआर (Cardio Pulmonary Resuscitation) एक आपातकालीन चिकित्सा पद्धति है जो तब दी जाती है जब किसी व्यक्ति की सांस या दिल की धड़कन रुक जाती है। यह प्रक्रिया मस्तिष्क और अन्य अंगों तक रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने में मदद करती है जब तक कि मेडिकल सहायता न मिल जाए।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर
डॉ. द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में महत्वपूर्ण अंतर होता है। हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की रक्तवाहिनियाँ ब्लॉक हो जाती हैं लेकिन दिल धड़कता रहता है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है, जिससे शरीर के अंगों में रक्त का प्रवाह रुक जाता है।
सार्वजनिक प्रशिक्षण की जरूरत
क्षेत्रीय प्रबंधक परशुराम पांडेय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसे हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। उन्होंने डॉ. द्विवेदी के सतत प्रयासों की प्रशंसा की और बताया कि इस प्रशिक्षण से परिवहन विभाग के कर्मचारी आपात स्थिति में जीवन रक्षक भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर रोडवेज प्रभारी राजा राजेश, डिपो इंचार्ज रमाकांत उपाध्याय सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।

