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धर्मेंद्र–अमिताभ की जोड़ी ने बदली इस विलेन की किस्मत: शोले का एक डायलॉग बना दिया था रातोंरात सुपरस्टार

1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह बने अमजद खान का एक संवाद आज भी लोगों की जुबां पर। इस एक लाइन ने उन्हें हिंदी सिनेमा का महान खलनायक बना दिया था।
 

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Dharmendra amitabh
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इंटरटेनमेंट डेस्क। बॉलीवुड में विलेन के किरदार को हमेशा से ही खास महत्व दिया जाता रहा है। कई ऐसे अभिनेता हुए जिनके नकारात्मक रोल ने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई। उन्हीं में से एक हैं अमजद खान, जिनकी किस्मत साल 1975 में रिलीज़ हुई ‘शोले’ फिल्म ने रातोंरात बदल दी थी।
धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की जोड़ी से सजी इस फिल्म में गब्बर सिंह का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार विलेन माना जाता है।

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‘शोले’ रिलीज़ के समय से ही रिकॉर्ड तोड़ कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल रही। कहानी सलीम–जावेद ने लिखी थी और निर्देशन मशहूर फिल्ममेकर रमेश सिप्पी ने किया था। फिल्म में वीरू–जय की जोड़ी जितनी चर्चा में थी, उससे कहीं ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा था गब्बर सिंह के डायलॉग्स ने।

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अमजद खान ने ऐसे कई संवाद बोले जिन्हें आज भी दर्शक याद करते हैं, लेकिन जो लाइन उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई, वह थी-

“पचास-पचास कोस दूर जब कोई बच्चा रोता है, तो उसकी मां कहती है-सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा।”

यह संवाद न सिर्फ उस समय सिनेमाघरों में तालियों की गड़गड़ाहट लाया, बल्कि अमजद खान को हिंदी सिनेमा का सबसे डरावना और आइकॉनिक विलेन भी बना गया।
सोशल मीडिया के दौर में भी इस डायलॉग के मीम्स खूब वायरल होते हैं, और फिल्म प्रेमियों की जुबां पर यह संवाद आज भी आसानी से सुनाई दे जाता है।

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अमजद खान ने अपने करियर में कई शानदार भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन ‘शोले’ में गब्बर सिंह का किरदार उन्हें एक अलग ऊंचाई पर ले गया। फिल्मी गलियारों में आज भी कहा जाता है कि अगर अमजद खान गब्बर नहीं होते, तो ‘शोले’ की धमक इतनी दूर तक नहीं जाती।

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