
पुलिया प्रसंग की मनाई गई 4वीं वर्षगांठ: जीवन को दिशा देने वाला साहित्यिक मंच
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बौद्धिक संवाद और साहित्यिक योगदान के लिए पुलिया प्रसंग ने मनाया चौथा वर्षगांठ



वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच ‘पुलिया प्रसंग’ ने अपनी चौथी वर्षगांठ रविवार को भव्य समारोह के साथ मनाई। इस अवसर पर मंच के संस्थापक, बौद्धिक हस्तियाँ, शोधार्थी और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध न्यूरो चिकित्सक प्रो. (डॉ) विजय नाथ मिश्र ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सुरेंद्र प्रताप, विशिष्ट अतिथि के रूप में दीपेश चंद्र चौधरी और प्रो. अनवरुज्जमा, तथा मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. सरफराज आलम उपस्थित रहे।



समारोह की शुरुआत आई.आई.टी. बीएचयू चौराहे पर इसी दिन 100 साल पुराने पीपल के पेड़ को पुनः खड़ा करने के कार्यक्रम से हुई। पुलिया प्रसंग के सदस्यों ने उद्यान विभाग के समन्वयक प्रो. सरफराज आलम और उद्यान प्रभारी अश्विनी कुमार देशवाल को सम्मानित किया। साथ ही, परिसर में हरियाली बढ़ाने हेतु नए वृक्ष लगाने का संकल्प भी लिया गया। कार्यक्रम में स्थानीय फल विक्रेता रिंकू, राजकुमार चौबे, और अखबार विक्रेता छन्नूलाल को भी सम्मानित किया गया।

स्वागत वक्तव्य में संस्थापक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि पुलिया प्रसंग का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक संवादधर्मिता को बनाए रखना और नई पीढ़ी को परंपरा और आधुनिकता से जोड़ना है।
मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने पुलिया प्रसंग को जड़ता के विरोध में मजबूती से खड़ा मंच बताते हुए कहा कि यह मंच समाज और साहित्य के बहते नीर को जोड़ने का कार्य करता है।

अध्यक्ष प्रो. विजय नाथ मिश्र ने मंच की सामाजिक भूमिका को महत्व देते हुए कहा कि पुलिया प्रसंग शिक्षित वर्ग को समाज के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा, “व्यक्ति की मानवीय संवेदना को ज्ञान के साथ जोड़कर सही दिशा देना ही पुलिया प्रसंग का उद्देश्य है।”
मुख्य वक्ता प्रो. सरफराज आलम ने पुलिया प्रसंग को ‘बौद्धिक स्थलों’ की पहचान और रचनात्मकता को विकसित करने का एक अनूठा मंच बताया। विशिष्ट अतिथि दीपेश चंद्र चौधरी ने पुलिया प्रसंग की तुलना भारतेंदु मंडल से करते हुए कहा कि यह मंच हिंदी साहित्य को योगदान दे रहा है। प्रो. अनवरुज्जमा ने पर्यावरण और सामाजिक योगदान के उदाहरण साझा करते हुए मंच की भूमिका की सराहना की।
कार्यक्रम में डॉ. विंध्याचल यादव और शोधार्थी जूही त्रिपाठी ने अपने लेखों का पाठ किया। समारोह का संचालन डॉ. विंध्याचल यादव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने प्रस्तुत किया।
पुलिया प्रसंग के इस भव्य समारोह ने साहित्य और बौद्धिकता के प्रति युवाओं में जागरूकता बढ़ाने और जीवन को दिशा देने की भूमिका को उजागर किया।

