महामंडलेश्वर की पदवी छोड़ते हुए इमोशनल हुईं ममता कुलकर्णी, किन्नर अखाड़े पर लगाए कई गंभीर आरोप




फिल्म अभिनेत्री से साध्वी बनीं ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की उपाधि छोड़ने का फैसला किया है। पट्टाभिषेक के महज 18 दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और इसके लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और अर्धनारीश्वर धाम की प्रमुख हिमांगी सखी को जिम्मेदार ठहराया।

लगातार हो रही आलोचना से आहत- ममता
ममता कुलकर्णी ने वीडियो संदेश के जरिए कहा कि लगातार हो रहे विरोध और आरोपों से आहत होकर उन्होंने यह निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किन्नर अखाड़े में पैसे लेकर महामंडलेश्वर बनाए जा रहे हैं, और उनसे भी दो लाख रुपये मांगे गए थे।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि एक महामंडलेश्वर की जेब से जबरन दो लाख रुपये निकाल लिए गए। ममता ने सवाल उठाया कि उनके महामंडलेश्वर बनने से लोगों को इतनी परेशानी क्यों हो रही है जबकि वह पिछले 25 साल से सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं।

25 साल पहले ही ले चुकी थीं दीक्षा
ममता कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने 25 साल पहले ही फिल्मी दुनिया को छोड़कर संन्यास ले लिया था। वह लगातार सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगी हुई थीं और उन्हें अब बेवजह विवादों में घसीटा जा रहा है।
24 जनवरी को मिली थी महामंडलेश्वर की उपाधि
प्रयागराज महाकुंभ में 24 जनवरी को किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को संन्यास की दीक्षा देकर महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी। इस अवसर पर सार्वजनिक समारोह में पट्टाभिषेक किया गया और चादर पेशी की रस्म अदा की गई थी। हालांकि, ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर काफी विवाद हुआ था।

धीरेंद्र शास्त्री और अन्य संतों ने उठाए सवाल
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती समेत कई संतों ने आपत्ति जताई थी।
बागेश्वर धाम के कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री ने भी तंज कसते हुए कहा था कि "कई सालों से सेवा में लगे रहने के बावजूद उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि नहीं मिली, जबकि अन्य को यह पद दिया जा रहा है।"
किन्नर अखाड़ा छोड़ने पर अभी सस्पेंस बरकरार
ममता कुलकर्णी ने अपने वीडियो संदेश में यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने सिर्फ महामंडलेश्वर की उपाधि छोड़ी है या किन्नर अखाड़ा भी त्याग दिया है।
इससे पहले, उनके पुराने जीवन को लेकर भी सवाल उठाए गए थे और आरोप लगाया गया था कि उनके संबंध देश विरोधी लोगों से जुड़े थे।
अखाड़ा परिषद ने किया था बचाव
विवाद बढ़ने के बाद अखाड़ा परिषद ने ममता कुलकर्णी और किन्नर अखाड़े का बचाव किया। वहीं, कई संतों ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इंटेलिजेंस जांच की मांग की थी।
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी को नया नाम श्री यमाई नंद गिरि दिया गया था, लेकिन अब उनका महामंडलेश्वर पद छोड़ने का निर्णय एक नई बहस को जन्म दे रहा है।

