
विश्व पर्यावरण दिवस पर गोष्ठी में उठी प्लास्टिक मुक्त समाज की आवाज, प्रकृति से संवाद पर हुआ चिंतन
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय वाराणसी में पर्यावरण दिवस पर गोष्ठी आयोजित, वक्ताओं ने ‘ट्रिपल आर’ और हस्त निर्मित वस्तुओं को अपनाने पर दिया बल




वाराणसी,भदैनी मिरर। डोमरी, रामनगर स्थित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय में 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी का विषय था "प्रकृति के साथ संवाद"। इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न प्रवक्ताओं और शिक्षकों ने पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार साझा किए।


गोष्ठी की शुरुआत करते हुए डॉ. सूर्य प्रकाश वर्मा ने वर्ष 2025 की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण को हराना” पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि Refuse, Reduce और Reuse की नीति अपनाकर हम प्लास्टिक प्रदूषण पर अंकुश लगा सकते हैं।
वरुण, दीपक व लवकेश जैसे प्रवक्ताओं ने हस्त निर्मित थैलों, गांधी जी की विचारधारा और हस्तनिर्मित वस्तुओं के प्रयोग की प्रासंगिकता पर चर्चा की। डॉ. रजनी श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी को प्रतिवर्ष एक पेड़ लगाने की प्रतिज्ञा दिलाने की बात कही।


डॉ. प्रतिमा राय ने “प्रकृति का संवाद” शीर्षक पर एक सुंदर कविता सुनाई, वहीं डॉ. सुनीति गुप्ता ने प्लास्टिक निर्माण इकाइयों के खिलाफ जागरूकता आंदोलन चलाने की जरूरत बताई। डॉ. अरुण कुमार दुबे ने पंचतत्व और स्वच्छ वातावरण पर बल दिया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की निदेशक प्रो. कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि “यदि पर्यावरण नहीं रहेगा, तो जीवन का अस्तित्व नहीं बचेगा।” उन्होंने वृक्षारोपण को जीवन का अनिवार्य अंग बताया और “एक वृक्ष मां के नाम” अभियान को बल देने की बात कही। उन्होंने अंत में प्रेरणादायक कविता "पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊंचे बन जाओ" प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का समापन महाविद्यालय परिवार द्वारा "स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण" के लिए सामूहिक प्रतिज्ञा के साथ किया गया।

