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नई शिक्षा नीति ने खोले शिक्षा और रोजगार के नए रास्ते: समृद्ध गुप्ता

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लेंदी कोर्स को खत्म कर "टू द पॉइंट" हो रही पढ़ाई, गार्जियन भी निभाएं अपनी भूमिका 
 

वाराणसी,भदैनी मिरर । शिक्षा का स्वरूप समय के साथ निरंतर बदलता रहा है। वर्तमान दौर में सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति (NEP) ने न केवल शैक्षणिक संरचना को सरल और उपयोगी बनाया है, बल्कि विद्यार्थियों को रोजगारपरक अवसर भी प्रदान किए हैं। O Grove चिल्ड्रेन्स एकेडमी के निदेशक समृद्ध गुप्ता से भदैनी मिरर ने बातचीत की और जाना कि वो पहले और अब की शिक्षा व्यवस्था में क्या अंतर महसूस करते हैं।

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पहले कोर्स थे लेंदी, अब पढ़ाई हुई "टू द पॉइंट"

समृद्ध गुप्ता मानते हैं कि पहले की शिक्षा नीति में कोर्स काफी भारी-भरकम और सैद्धांतिक होते थे। छात्रों को रटने पर मजबूर किया जाता था। लेकिन अब कोर्स को संक्षिप्त कर उसे विषय केंद्रित और व्यावहारिक बनाया गया है। उन्होंने कहा, "अब बच्चों को प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए रास्ता दिया गया है। सिर्फ डॉक्टर-इंजीनियर बनना ही एकमात्र लक्ष्य नहीं रहा, अब स्किल डिप्लोमा और अन्य वैकल्पिक कोर्स के जरिए भी रोजगार के रास्ते खुल चुके हैं।"

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हर बच्चे को मिले अवसर, सिर्फ टॉपर ही क्यों?

आज भी स्कूल और कोचिंग संस्थान टॉपर छात्रों को आकर्षित करने की होड़ में लगे रहते हैं। लेकिन समृद्ध गुप्ता का मानना है कि जो बच्चा कमजोर है, उसे भी अवसर मिलना चाहिए। “जो बच्चा पढ़ाई में कमजोर है, वह भी यदि सही स्किल्स हासिल करे तो आत्मनिर्भर हो सकता है। पहले यदि कोई बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनता था तो समाज और घर से उसे ताने मिलते थे। लेकिन अब सरकार ने शिक्षा में कई विकल्प दिए हैं, जिससे हर वर्ग को अवसर मिल सके।”

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बच्चे की पढ़ाई का जिम्मा सिर्फ स्कूल का नहीं: गार्जियन भी निभाएं भूमिका

समृद्ध गुप्ता कहते हैं कि केवल स्कूल ही नहीं, पैरेंट्स को भी बच्चों की शिक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेना होगा। "आज पैरेंट्स ट्यूशन लगवा देते हैं और ट्यूटर खुद को बेहतर साबित करने के लिए स्कूल को दोष देता है। हमें पहले बच्चों को सेल्फ स्टडी का समय देना चाहिए। फिर अभिभावक स्कूल आकर टीचर्स से सीधे पूछें कि बच्चा कैसा कर रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे का कॉन्सेप्ट क्लियर होना चाहिए। वह जो पढ़ रहा है, उसे समझना चाहिए। यही असली शिक्षा है।


बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी कदम

 “स्कूल में कई प्रकार की एक्टिविटीज़ कराई जाती हैं, बच्चों को उनमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।” समृद्ध गुप्ता के अनुसार सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी शिक्षा का अहम हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि पैरेंट्स नियमित रूप से PTM (पैरेंट्स टीचर मीटिंग) में भाग लें, बच्चों की कॉपी और डायरी चेक करें और देखें कि होमवर्क और रूटीन फॉलो हो रहा है या नहीं।

उन्होंने बच्चों के लिए फिजिकल एक्टिविटी को भी जरूरी बताया।  कहा कि "आजकल गार्जियन जान छुड़ाने के लिए बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते हैं। जबकि जरूरी है कि बच्चे दिन में कम से कम दो घंटे शारीरिक मेहनत करें – खेलें, दौड़ें और पसीना बहाएं।”

अभिभावकों के लिए संदेश

समृद्ध गुप्ता ने अभिभावकों से अपील की –  “बच्चों के टिफिन में जंक फूड न दें। घर का बना पराठा, रोटी और पोष्टिक भोजन ही दें। मस्तिष्क का विकास सही पोषण से ही संभव है। बच्चों को सुविधा नहीं, संस्कार और स्वास्थ्य दें।”

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