
जीएसटी 2.0 रेजीमः एमएसएमई सेक्टर के लिए विकास और बदलाव की नई राह, जानें क्या होंगे फायदे
कम टैक्स दरें, आसान प्रक्रियाएं और बेहतर लिक्विडिटी से एमएसएमई को मिलेगी मजबूती – उद्योग जगत ने नए जीएसटी ढांचे का किया स्वागत

Sep 5, 2025, 00:00 IST

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भारत सरकार द्वारा लागू किया जाने वाला जीएसटी 2.0 रेजीम न केवल कर सुधार है, बल्कि यह एमएसएमई सेक्टर (Micro, Small and Medium Enterprises) के लिए विकास की नई दिशा साबित हो सकता है। इस नए ढांचे के अंतर्गत टैक्स दरों को सरल बनाया गया है, प्रक्रियाओं को आसान किया गया है और कार्यशील पूंजी को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।

भारतीय उद्योग संघ के महासचिव दीपक बजाज ने कहा कि “जीएसटी 2.0 एमएसएमई के बेहतर भविष्य और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।" उन्होंने बताया कि 5% और 18% स्लैब से अब कर प्रणाली में भ्रम और विवाद कम होंगे, साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) और रिफंड प्रक्रिया भी आसान होगी।



एमएसएमई सेक्टर को होने वाले प्रमुख फायदे
- कम लागत और ज्यादा उत्पादन – निर्माण, कपड़ा और कृषि आधारित एमएसएमई को इनपुट लागत घटने से सीधा फायदा।
- FMCG और रोजमर्रा के उत्पाद सस्ते – टैक्स स्लैब घटने से मांग बढ़ेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन सेक्टर – पहले 28% टैक्स वाले उपकरण और वाहन अब 18% में आएंगे, जिससे ग्रामीण और मध्यम वर्ग के लिए वाहन व उपकरण किफायती होंगे।
- कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री – सीमेंट और निर्माण सामग्री पर 28% से घटाकर 18% टैक्स, निर्माण लागत में 7-8% की कमी।
- हेल्थ और एग्रीकल्चर सेक्टर – दवाइयों, मेडिकल उपकरणों और कृषि मशीनरी पर 0-5% स्लैब, जिससे ग्रामीण व स्वास्थ्य सेक्टर के एमएसएमई को फायदा।
- क्लीन एनर्जी सेक्टर – सोलर और विंड एनर्जी उपकरण पर केवल 5% टैक्स, हरित ऊर्जा आधारित एमएसएमई को प्रोत्साहन।
एमएसएमई को करने होंगे ये बदलाव
- नए स्लैब कोड के अनुरूप बिलिंग/ईआरपी सिस्टम अपडेट
- कर्मचारियों को नए कर नियमों की ट्रेनिंग
- अनुबंधों और प्राइसिंग मॉडल में संशोधन
- रिफंड प्रक्रिया के लिए तेज़ ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित करना
उद्योग जगत का मानना है कि यह कदम एमएसएमई को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए नई ऊर्जा देगा और भारत की आर्थिक वृद्धि में उनकी हिस्सेदारी को और मजबूत करेगा।

