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हर जुल्म का जवाब बना ‘वंदे मातरम्’: पीएम मोदी बोले– यही गान बना आजादी का स्वर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि भारत के आत्मविश्वास, साहस और स्वाधीनता का प्रतीक है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की यह रचना गुलामी के दौर में भारत की आत्मा का स्वर बन गई।

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नई दिल्ली। राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित विशेष स्मरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि भारत के आत्मविश्वास और आजादी के जज़्बे का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह गान हर भारतीय को यह विश्वास दिलाता है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

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पीएम मोदी ने कहा, “वंदे मातरम् शब्द हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है। यह हमें साहस देता है कि ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जिसे प्राप्त न किया जा सके। जब बंग दर्शन में वंदे मातरम् प्रकाशित हुआ, तो किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह गीत आजादी का स्वर बन जाएगा। लेकिन देखते-देखते यह हर क्रांतिकारी की ज़ुबान पर था, हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त कर रहा था।”

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् को बांटने की कोशिश करने वाली शक्तियां तब भी थीं और आज भी मौजूद हैं, लेकिन यह गीत हर युग में प्रासंगिक और अमर है।

‘वंदे मातरम्’ बना आजादी का गान

पीएम मोदी ने कहा, “गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम् भारत की स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया था। आनंद मठ केवल उपन्यास नहीं था बल्कि स्वाधीन भारत का एक सपना था। उसकी हर पंक्ति आजादी की पुकार थी।”
उन्होंने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना उस समय की जब भारत विदेशी शोषण, गरीबी और भूख से जूझ रहा था। बावजूद इसके उन्होंने समृद्ध भारत का सपना देखा— क्योंकि उन्हें विश्वास था कि भारत अपने स्वर्णिम युग को पुनर्जीवित कर सकता है।

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डाक टिकट और विशेष सिक्का जारी

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वंदे मातरम् पर एक विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया। उन्होंने कहा, “मैं मां भारती के उन सपूतों को नमन करता हूं जिन्होंने वंदे मातरम् के लिए अपना जीवन समर्पित किया। यह दिन हमें उस असाधारण यात्रा की याद दिलाता है जिसने भारत की आत्मा को झकझोर दिया था।”

भारत की सभ्यता का प्रतीक बना वंदे मातरम्

प्रधानमंत्री ने कहा कि “सुजलाम, सुफलाम, मलयज शीतलाम, सश्य श्यामलाम मातरम्”- इस पंक्ति में भारत की हजारों साल पुरानी पहचान छिपी है। यह प्रकृति, संस्कृति और मातृभूमि की एकता का अद्भुत उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् हर काल में प्रासंगिक है क्योंकि यह गीत भारत के शाश्वत भाव-मां भारती- को प्रकट करता है।

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