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संसद का शीतकालीन सत्र: सरकार 30 नवंबर को विपक्ष के साथ सर्वदलीय बैठक करेगी, 10 नए बिलों पर विचार

परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा, सड़क और कंपनियों से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश होंगे

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नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। इस बार केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों को साथ लेकर सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए कदम उठाए हैं। इसके तहत संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को सभी दलों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक का उद्देश्य शीतकालीन सत्र के दौरान हंगामे को रोकते हुए संसद की कार्यवाही को प्रभावी बनाना है।

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शीतकालीन सत्र में क्या-क्या है एजेंडा?

सरकार इस सत्र में कुल 10 नए बिलों को पेश करने की योजना में है। इनमें प्रमुख हैं:

1. परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 – देश के नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का रास्ता तैयार करेगा। सरकार का कहना है कि यह कानून परमाणु ऊर्जा के उपयोग और उसके नियमन को आधुनिक और प्रभावी बनाएगा।

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2. हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल – विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देगा। इस बिल से संस्थान स्वतंत्र और स्वयं-शासित बनेंगे और मान्यता की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।

3. नेशनल हाईवेज (संसोधन) बिल – राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और सरल बनाने का लक्ष्य।

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4. कॉरपोरेट लॉज (संसोधन) बिल, 2025 – कंपनियों अधिनियम 2013 और एलएलपी एक्ट 2008 में बदलाव कर 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' बढ़ाने का प्रयास।

5. सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड (एसएमसी) बिल, 2025 – सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम को एकीकृत कर बाजार नियम सरल और समान बनाए जाएंगे।

6. मध्यस्थता और सुलह कानून में संशोधन – सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों और सेक्शन 34 में बदलाव की जरूरत को देखते हुए नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

सरकार का मानना है कि इन विधेयकों के माध्यम से न केवल ऊर्जा, शिक्षा और सड़क विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कंपनियों और बाजार के नियम भी सरल और पारदर्शी होंगे।

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