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इंडिगो का खत्म होगा एकक्षत्र राज! भारत को मिलेंगी 3 नई एयरलाइंस, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

नागर विमानन मंत्रालय ने शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को दिया NOC, डुओपॉली खत्म करने की तैयारी

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नई दिल्ली। भारतीय एविएशन सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नागर विमानन मंत्रालय ने देश को तीन नई एयरलाइंस देने की मंजूरी दे दी है। मंत्रालय की ओर से शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया गया है।

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सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब देश के घरेलू विमानन बाजार में डुओपॉली को लेकर लगातार चिंताएं जताई जा रही थीं। फिलहाल इंडिगो और एयर इंडिया ग्रुप मिलकर बाजार के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर कब्जा बनाए हुए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी देते हुए बताया कि बीते सप्ताह उन्होंने इन तीनों प्रस्तावित एयरलाइंस की टीमों से मुलाकात की।
उन्होंने लिखा कि शंख एयर को पहले ही NOC मिल चुका था, जबकि अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को इस सप्ताह मंजूरी दी गई है।

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शंख एयर की क्या है योजना

शंख एयर ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर बताया है कि वह नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) से फुल-सर्विस एयरलाइन के रूप में परिचालन शुरू करने की योजना बना रही है।
नागर विमानन मंत्रालय से NOC मिलने के बाद शंख एयर की 2026 की पहली तिमाही में उड़ान सेवाएं शुरू करने की तैयारी है।

उत्तर प्रदेश स्थित शंख एविएशन इस एयरलाइन का संचालन करेगी। कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक श्रवण कुमार विश्वकर्मा के अनुसार, शुरुआती चरण में एयरलाइन अपने विमानों की तकनीकी समीक्षा पूरी कर रही है और अगले दो से तीन वर्षों में बेड़े को 20 से 25 विमानों तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस

अल हिंद ग्रुप द्वारा समर्थित अल हिंद एयर, ATR 72-600 टर्बोप्रॉप विमानों के साथ एक रीजनल कम्यूटर एयरलाइन के रूप में लॉन्च होगी। यह शुरुआत में दक्षिण भारत के घरेलू रूट्स पर फोकस करेगी। वहीं, फ्लाईएक्सप्रेस भी घरेलू एविएशन बाजार में नई प्रतिस्पर्धा जोड़ने की तैयारी में है।

इंडस्ट्री में क्यों जरूरी थी नई एयरलाइंस

हाल के महीनों में इंडिगो द्वारा बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसिल किए जाने के बाद यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इससे यह सवाल उठा कि किसी एक एयरलाइन पर अत्यधिक निर्भरता भविष्य में जोखिम पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नई एयरलाइंस सफलतापूर्वक ऑपरेशन शुरू करती हैं, तो इससे

  • यात्रियों को अधिक विकल्प मिलेंगे
  • टिकट कीमतों पर नियंत्रण बनेगा
  • और एविएशन सेक्टर में संतुलित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।

कंसोलिडेशन का दौर

पिछले एक दशक में जेट एयरवेज, किंगफिशर और गोफर्स्ट जैसी एयरलाइंस के बंद होने और टाटा ग्रुप द्वारा एविएशन बिजनेस के पुनर्गठन के बाद इंडस्ट्री में बड़ा कंसोलिडेशन देखने को मिला है।
एयरएशिया इंडिया का एयर इंडिया एक्सप्रेस में और विस्तारा का एयर इंडिया में विलय इसी प्रक्रिया का हिस्सा रहा है।

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