
“हर बात के लिए अदालत मत आइए, सरकार से कहिए” -इस मुद्दे पर दाखिल PIL पर CJI गवई की सख्त टिप्पणी
कहा — संविधान के अन्य अंग भी काम कर रहे हैं, सब कुछ अदालत से नहीं होगा



नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई ने गुरुवार (16 अक्टूबर) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “हर चीज़ के लिए अदालत मत आइए, जाइए सरकार से गुहार लगाइए।”
CJI गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष यह याचिका दायर की गई थी, जिसमें सरकारी और निजी बसों में अत्यधिक भीड़भाड़ पर रोक लगाने और इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।



अदालत ने PIL खारिज की
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि बसों में ओवरलोडिंग से हर साल हजारों लोगों की जान जाती है और सरकार को भी राजस्व नुकसान होता है। याचिका में मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 और सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 के सख्त पालन की मांग की गई थी।
हालांकि, सुनवाई के बाद CJI गवई ने PIL को खारिज करते हुए कहा: “हर बात के लिए आप अदालत नहीं आ सकते। संविधान के अन्य अंग भी काम कर रहे हैं। जाइए, सरकार के पास जाकर अपनी बात रखिए।”

CJI ने यह भी कहा कि इस तरह के मुद्दों को लेकर कार्यपालिका और प्रशासनिक विभागों से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि वे ही इन नियमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।
त्योहारों के सीजन में बढ़ती अव्यवस्था
त्योहारों के मौसम में बसों और ट्रेनों में क्षमता से कई गुना अधिक यात्री सफर करते हैं। कई बार बसों की छतों पर भारी सामान रखे जाने से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के मुताबिक, बसों की ओवरलोडिंग और नियंत्रणहीन संचालन के कारण हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है।
CJI की यह टिप्पणी न केवल अदालत की कार्यप्रणाली की सीमा को स्पष्ट करती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि सार्वजनिक समस्याओं के समाधान में सरकार की भूमिका अहम है।

