
ब्रेकिंग न्यूज़ः सुप्रीम कोर्ट से वक्फ एक्ट पर बड़ी खबर, नए वक्फ संशोधन कानून पर फिलहाल इन कामों पर रहेंगी रोक
सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय मांगा




सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक काउंसिल या बोर्ड के तहत सेक्शन 9 में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी
कोई वक्फ संपत्ति चाहे वह रजिस्टर्ड हो या सरकारी अधिसूचना से डिनोटिफाई नहीं की जाएगी
दिल्ली भदैनी मिरर। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए वक्फ संशोधन अधिनियम पर बड़ी रोक लगाई है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक काउंसिल या बोर्ड के तहत सेक्शन 9 में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। कोई वक्फ संपत्ति चाहे वह रजिस्टर्ड हो या सरकारी अधिसूचना से डिनोटिफाई नहीं की जाएगी। सिर्फ 5 याचिकाओं पर सुनवाई होगी, बाकी को आवेदन मानकर विचार किया जाएगा। इस मामले में केंद्र को 7 दिन में जवाब देना है, याचिकाकर्ताओं को उसके बाद 5 दिन में जवाब दाखिल करना होगा। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने सरकार को साफ निर्देश दिया है कि कोई वक्फ या यूजर द्वारा घोषित वक्फ संपत्ति डिनोटिफाई नहीं की जाएगी। यह आदेश देशभर की वक्फ संपत्तियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

70 से ज्यादा याचिकाओं पर हुई सुनवाई
र्गौरतलब है कि वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई 70 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। करीब दो घंटे तक इस मामले पर बहस चली। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकीलों ने बुधवार को कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें दी। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में मौजूद रहे। सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं, वहीं केंद्र सरकार ने भी कानून के बचाव में अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी लगातार ’वक्फ बाय यूजर’ संपत्ति का जिक्र कर रहे थे। सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। इनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाय यूजर’ के तौर पर रजिस्टर है। सिंघवी ने दलील दी और चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।


एक परम्परा है ’वक्फ बाय यूजर’
अब समझते हैं ये प्रावधान क्या है। दरअसल, ’वक्फ बाय यूजर’ एक परंपरा है, जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो। कपिल सिब्बल ने कहा,‘वक्फ बाय यूजर’ वक्फ की एक शर्त है। इसको ऐसे समझिए कि मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं कि वहां अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्या क्या है। मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के लिए क्यों कहेगी। इन तमाम दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बहस जारी रखी। इसी के तहत गुरूवार को भी बहस हुई।

सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा-कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी
वक्फ अधिनियम पर सुनवाई के दौरान हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने कहा, “आज सुप्रीम कोर्ट में भारत के सॉलिसिटर जनरल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नए संशोधन अधिनियम के तहत वक्फ परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा है कि सरकार अगली सुनवाई तक पंजीकृत और राजपत्रित संपत्तियों (वक्फ-बाय-यूजर) को डी-नोटिफाई नहीं करेगी। एसजी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार किसी के खिलाफ नहीं है.

