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Air India Crash: सुप्रीम कोर्ट ने DGCA से मांगा जवाब, कहा- शुरुआती जांच रिपोर्ट के कुछ पहलू ‘गैरजिम्मेदाराना’

12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के बाद हादसे का शिकार हुआ था Air India का बोइंग 787-8 विमान

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हादसे में 265 लोगों की मौत, केवल एक यात्री बचा

एएआईबी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग पर केंद्र और DGCA को नोटिस
 

नई दिल्ली। 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि विमान हादसे पर एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के कुछ पहलू ‘गैरजिम्मेदाराना’ हैं, जिनमें पायलट की चूक का संकेत मिलता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

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केंद्र और DGCA को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एनजीओ FRAeS (सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन) की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसमें दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि आधिकारिक जांच नागरिकों के जीवन और सच्ची जानकारी तक पहुंच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

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हितों के टकराव पर सवाल

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि हादसे की जांच करने वाली समिति में तीन सदस्य DGCA से थे, जिससे हितों के टकराव का मामला बनता है। उन्होंने विमान के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR), कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग (EAFR) डेटा सार्वजनिक करने की मांग की।

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 पायलट को दोषी ठहराने पर आपत्ति

याचिका में कहा गया कि AAIB ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें हादसे के लिए “फ्यूल कटऑफ स्विच” को गलत पोजीशन में ले जाने को जिम्मेदार ठहराया गया, जो सीधे तौर पर पायलट की गलती की ओर इशारा करता है। याचिकाकर्ताओं ने इसे अधूरी और पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट बताया और कहा कि कई महत्वपूर्ण तकनीकी डाटा को छिपाया गया है।

हादसे का भयावह मंजर

12 जून को एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद मेडिकल हॉस्टल परिसर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में 265 लोगों की मौत हुई, जिनमें 241 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य शामिल थे। मृतकों में 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक शामिल थे। हादसे में केवल एक यात्री – ब्रिटिश नागरिक विश्वाशकुमार रमेश जीवित बचे।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई सावधानी

पीठ ने कहा कि हादसे की जांच में गोपनीयता, निजता और गरिमा के पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि कुछ जानकारी का दुरुपयोग प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस कर सकती हैं। हालांकि अदालत ने साफ किया कि फिलहाल उसका ध्यान केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने पर है।

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