आपसी सहमति से बनाया गया रिश्ता धोखा नही-हाईकोर्ट
विवाहेत्तर सम्बंध पर कोलकाता हाईकोर्ट ने कहीं बड़ी बात




दोनों बालिग हैं और शादीशुदा, उनका रिश्ता आपसी सहमति से था न कि धोखा
सहमति से संबंध बनाता है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा
दिल्ली, भदैनी मिरर। हाल ही में, कई हाईकोर्ट ने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े मामलों में कुछ महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। कुछ मामलों में, कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई विवाहित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ सहमति से संबंध बनाता है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा, खासकर यदि दोनों बालिग हैं और उनकी सहमति रही है. फिर भी कुछ मामलों में अदालत ने यह भी कहा है कि व्यभिचार को अपराध बनाने वाले कानून के अभाव में, विवाहेतर संबंधों में रहने वाले पति-पत्नी को पूरी तरह से छूट नहीं मिल सकती है। क्या सहमति से बना रिश्ता हमेशा सही होता और क्या शादी और उम्र की स्थिति से फर्क पड़ता है? शादी के बाद भी पार्टनर किसी अन्य से संबंध बना सकता है? ऐसे सवालों को लेकर समाज में बड़ी उलझनें हैं। आए दिन ऐसे मामले देश की अदालतों में जाते रहते हैं और इस पर कोर्ट के फैसले लोगों को हैरान करते रहते हैं। अब कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने फैसले में चौंकाने वाली बात कही है।

विवाहित महिला ने दाखिल किया था मुकदमा, कोर्ट ने किया खारिज
कोलकाता हाईकोर्ट ने शादीशुदा कपल के एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर पर कहा है कि शादी के बाद किसी अन्य के साथ सहमति से बनाए गए सम्बंध अपराध की श्रेणी में नहीं आते। यह कहते हुए कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया। जज बिभास रंजन ने कहा कि दोनों बालिग और शादीशुदा भी हैं। ऐसे में उनका रिश्ता आपसी सहमति से था न कि धोखा।

यह पूरा मामला
विवाहित महिला से जुड़ा है। महिला ने एक विवाहित युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया गया था कि उससे शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक सम्बंध बनाया गया। दोनों के बीच दो साल से सम्बंध थे। जब महिला के पति को उसके सम्बंध का पता चला तो उसने उसके साथ रहने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने प्रेमी से शादी के लिए दबाव बनाया तो प्रेमी ने शादी से इनकार कर दिया। युवक ने शादी से इनकार किया तो युवती ने मयनागुड़ी थाने में बीएनएस की धारा 69 और 351 (2) के तहत मामला दर्ज कराया। इसके बाद मामला अदालत पहुंचा। इस मामले की सुनवाई करते हुए जज बिभास रंजन ने कहा कि दोनों बालिग हैं और शादीशुदा भी। ऐसे में उनका रिश्ता आपसी सहमति से था न कि धोखा। इसके बाद कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया और कहा कि ये अपराध की श्रेणी में नहीं आता। न्यायाधीश ने आगे कहा कि कपल मैच्योर हैं जो एक-दूसरे की वैवाहिक प्रतिबद्धताओं से पूरी तरह परिचित हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में दी गई सहमति को जबरन या झूठे वादे के द्वारा गुमराह किए जाने के बजाय सहमति से माना जाएगा। क्योंकि शारीरिक संबंध के लिए प्रारंभिक सहमति को आपसी आकर्षण पर आधारित माना जाएगा।


