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UP: तीन मासूम बच्चों की हत्या के मामले में मां को फांसी, प्रेमी को उम्रकैद

पति की मौत के बाद चचेरे देवर के साथ रह रही थी महिला

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बच्चों को नशीला पदार्थ देकर नदी में डुबोया

9 वर्षीय बेटे की गवाही बनी निर्णायक

यूपी,भदैनी मिरर।  उत्तर प्रदेश के औरैया जिले से एक रूह कंपा देने वाला मामला सामने आया है। फफूंद थाना क्षेत्र के अटा बरूआ गांव की रहने वाली प्रियंका नाम की महिला को उसके तीन मासूम बच्चों की हत्या के मामले में कोर्ट ने गुरुवार को फांसी की सजा सुनाई है। वही, प्रियंका के प्रेमी और चचेरे देवर आशीष उर्फ डैनी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है।

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यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (डकैती कोर्ट) सैफ अहमद की अदालत ने सुनाया। यह मामला 27 जून 2024 को सामने आया था, जिसमें प्रियंका पर आरोप था कि उसने अपने चार बच्चों में से तीन को नशीला पदार्थ देकर सेंगर नदी में डुबोकर मार डाला। घटना में एक बेटा सोनू (9 वर्ष) किसी तरह बच गया और उसी की गवाही से आरोपियों को सजा दिलाने में अभियोजन सफल रहा।

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पति की मौत के बाद प्रेमी के साथ रहने लगी थी महिला

जानकारी के मुताबिक, प्रियंका (27) की शादी इटावा के बसरेहर निवासी अवनीश से हुई थी, जिससे उसके चार बच्चे थे। लेकिन दो साल पहले अवनीश की करंट लगने से मौत हो गई। इसके बाद प्रियंका अपने चचेरे देवर आशीष के साथ रहने लगी। कोर्ट में पेश गवाहों और सबूतों के मुताबिक, आशीष ने ही बच्चों को रास्ते से हटाने की साजिश रची और प्रियंका ने उसे अंजाम दिया।

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नशीला पदार्थ खिला कर डुबोया बच्चों को

जांच के अनुसार, प्रियंका अपने प्रेमी आशीष के कहने पर चारों बच्चों को लेकर केश्मपुर घाट (सेंगर नदी) पर गई। वहां पहले सभी बच्चों को नशीला पदार्थ खिलाया और फिर नदी में डुबो दिया। सौभाग्य से उसका बेटा सोनू किसी तरह बाहर निकल आया और उसने पुलिस को सारी घटना बताई।

पुलिस मौके पर पहुंची और तत्काल बचाव कार्य शुरू हुआ। गोताखोरों ने छह साल के आदित्य, चार साल के माधव और डेढ़ साल के मंगल के शव नदी से निकाले। सोनू ने ही पुलिस को पूरी कहानी बताई, जो इस जघन्य वारदात का चश्मदीद बन गया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्परता दिखाई और मृतक बच्चों के चाचा मनीष की तहरीर पर प्रियंका और आशीष के खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 120बी (षड्यंत्र) के तहत केस दर्ज किया। अभियोजन पक्ष ने कुल 6 गवाह पेश किए और मात्र 1 साल 13 दिन के भीतर कोर्ट ने दोषियों को सजा सुना दी।

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