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नीलगिरी इंफ्रासिटी और पीरामल फाइनेंस पर धोखाधड़ी का केस, 31 लाख के ऋण घोटाले का आरोप

नीलगिरी कंपनी पर पहले से दर्ज हैं चेतगंज थाने में 115 से ज्यादा धोखाधड़ी के मामले, सैकड़ों पीड़ितों के फंसे है करोड़ों रुपए

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वाराणसी, भदैनी मिरर। जमीन, प्लॉट और निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाली नीलगिरी इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पीरामल फाइनेंस लिमिटेड (पूर्व में डीएचएफएल) के खिलाफ एक और धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के शंकर कांड गली निवासी गणेश प्रसाद मिश्रा ने चेतगंज थाने में दोनों कंपनियों के खिलाफ रविवार की रात मुकदमा दर्ज कराया है।
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि मलदहिया स्थित इंडियन प्रेस कॉलोनी में नीलगिरी इंफ्रासिटी के कार्यालय से संपर्क कर उन्होंने वृंदावन टाउनशिप में प्लॉट बुक कराया था। डेवलपर की ओर से प्रतिनिधियों ने उन्हें डीएचएफएल (अब पीरामल फाइनेंस लिमिटेड) से होम लोन लेने का सुझाव दिया और भरोसा दिलाया कि परियोजना पूरी तरह वैध और सुरक्षित है।
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विश्वास में आकर पीड़ित ने 38 लाख 55 हजार रुपये मूल्य की संपत्ति के लिए 31 लाख रुपये का लोन लिया। शिकायत के अनुसार, अब तक उन्होंने 29 लाख 7 हजार 544 रुपये का भुगतान भी कर दिया है, लेकिन जांच में सामने आया कि मूल राशि के केवल 1.23 लाख रुपये ही जमा किए गए, जबकि बाकी रकम बैंकिंग मानकों का उल्लंघन करते हुए अत्यधिक ब्याज और अन्य शुल्क के रूप में दिखा दी गई।
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पीड़ित ने आरोप लगाया कि डेवलपर और वित्तीय संस्थान दोनों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी की है। चेतगंज थाना प्रभारी विजय शुक्ला ने बताया कि नीलगिरी इंफ्रासिटी और पीरामल फाइनेंस के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
पहले से दर्ज हैं 115 से अधिक मुकदमे
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जानकारी के मुताबिक, नीलगिरी इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड पर पहले से ही 115 से अधिक मुकदमे चेतगंज थाने में दर्ज हैं। कंपनी पर जमीन में निवेश के नाम पर हजारों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी के आरोप हैं।
आरोपी कंपनी के सीएमडी विकास सिंह, एमडी ऋतु सिंह, मैनेजर प्रदीप यादव समेत कई कर्मचारियों के खिलाफ बिहार, झारखंड, कोलकाता, उत्तराखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से पीड़ितों ने धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए हैं।
पूर्व पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने इस फ्रॉड कंपनी पर शिकंजा कसा था। उनके निर्देश पर विकास सिंह, उनकी पत्नी ऋतु सिंह और अन्य आरोपियों को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इस शर्त पर जमानत मिली थी कि वे निवेशकों का पैसा लौटाएंगे। लेकिन पूंजी न लौटाने पर 27 मई 2025 को विकास सिंह और मैनेजर प्रदीप यादव को दोबारा गिरफ्तार किया गया।
फिलहाल, अभी भी सैकड़ों निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है और कई मामले जांच के अधीन हैं।
पुलिस द्वारा जारी नीलगिरी इंफ्रासिटी के खिलाफ केस की सूची। इसके बाद भी कई केस कंपनी पर दर्ज हो चुके है।
नोट: नीलगिरी इंफ्रासिटी जैसे वित्तीय धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों से आप सावधान रहे, यदि आप भी पीड़ित है तो इनके खिलाफ केस दर्ज करवाएं। 
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