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पट्टीदार की हत्या के मामले में आरोपित दोषमुक्त, वर्ष 2000 में हुई थी घटना 

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Anuj Yadav
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वाराणसी,भदैनी मिरर। पट्टीदारी के विवाद की रंजिश को लेकर गोली मार कर हत्या करने के मामले में आरोपित को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी। विशेष न्यायाधीश (इसी एक्ट) संध्या श्रीवास्तव की अदालत ने रामगढ़, भभुआ (बिहार) निवासी आरोपित राम नारायण सिंह पर आरोप सिद्ध न होने पर संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। वहीं इसी मामले में पूर्व में दो अभियुक्त काली प्रसाद व संतोष सिंह को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। अदालत में आरोपित राम नारायण सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, रवि तिवारी व संदीप यादव ने पक्ष रखा।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार रामगढ़ भभुआ (बिहार) निवासी राजेन्द्र सिंह ने 18 फरवरी 2000 को कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसका भाई सुरेंद्र सिंह 18 फरवरी को रात्रि तक घर नहीं लौटा तो उसे देखने के लिए महावीर मंदिर पर गया। जहाँ उसका भाई सुरेंद्र मिला तो वह उसे लेकर पैदल घर की ओर चला कुछ दुर आगे जाने पर रास्ते में काली प्रसाद सिंह उर्फ पेंटूल व संतोष कुमार सिंह अपने अपने हाथ में तमंचा लिये पहुंचे और उसके भाई को पकड़ कर कनपटी व गर्दन पर गोली मार दी। जिससे उसका भाई लहूलुहान होकर वहीं पर गिर गये। इसपर वादी शोर मचाते हुए घर की ओर दौड़ा तो शोर सुनकर उसके मुहल्ले के रहने वाले सिपाही नेपाल सिंह ने दोनों अभियुक्तों को ललकारा तो मौके से काली व संतोष वहां से भाग गये। मौके पर जाकर देखा तो उसके भाई की मृत्यु हो गयीं थी।

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इस घटना को करवाने में उसके गाँव के रामनारायण सिंह जो लखनऊ में नौकरी करते हैं का हाथ रहा है। उन्होंने षड्यंत्र रचकर उसके भाई की हत्या अपने सगे भतीजों से करवाई है। गांव में पट्टीदारी की रंजिश को लेकर ही इनलोगों ने घटना को अंजाम दिया है। इस मामले में पुलिस ने वादी मुकदमा की तहरीर पर काली सिंह, संतोष सिंह व रामनारायण सिंह के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले वादी मुकदमा राजेंद्र सिंह समेत सभी चश्मदीद साक्षियों ने दौरान सत्र परीक्षण सभी अभियुक्तों के खिलाफ गवाही दिया था।

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