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डिजिटलीकरण के साथ बढ़ते गये अपराधी, साइबर अपराध में अप्रत्याशित वृद्धि

चरितार्थ हो रही कहावत, तू डाल-डाल और मैं पात-पात

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पलक झपकते आपकी गाढ़ी कमाई में सेंध लगा दे रहे साइबर अपराधी

दिल्लीभदैनी मिरर। देश में जिस गति से डिजिटलीकरण बढ़ रहा है उसी गति से साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। यहां भी तू डाल-डाल तो मैं पात-पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
आपको बता दें कि पिछले चार सालों में देश में साइबर ठगी के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इससे पता चलता है कि देश में साइबर अपराध में भारी वृद्वि हुई है। साइबर अपराधी 24 घंटे शिकार की तलाश में लगे रहते हैं और मौका मिलते ही घटना को अंजाम दे रहे हैं। सरकार, बैंकों और आरबीआई समेत तमाम सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से सावधानी बरतने की अपीलें की जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद साइबर अपराधी नये-नये हथकंडे अपना कर लोगों को अपना शिकार बना दे रहे हैं। इसलिए ऐसे मामलों में लोगों को विशेष सावधनियां बरतने की जरूरत है, वर्ना अपराधी पलक झपकते आपकी गाढ़ी कमाई में सेंध लगा सकते हैं।
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चार सालों में 900 प्रतिशत बढ़े अपराध

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों में देश में साइबर ठगी के मामलों में 900 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नेशनल साइबर रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म (एनसीआरपी) के आंकड़ों से पता चलता है कि जालसाजों ने चार वर्षों में लोगों के 33,165 करोड़ रुपये उड़ाए हैं। इनमें 2024 में अकेले 22,812 करोड़ रुपये की ठगी की घटनाएं हुई हैं। इसी तरह वर्ष 2021 में अपराधियों ने लोगों से 551 करोड़ रुपये की ठगी की। वहीं 2022 में 2,306 करोड़ रुपये और 2023 में 7,496 रुपये पर जालसाजों ने हाथ साफ कर दिया। आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2021 में साइबर ठगी की 1,37,254, शिकायतें दर्ज हुईं। इसके बाद वर्ष 2022 में यह बढ़कर 5,15,083 पर पहुंच गयी। जबकि 2023 में साइबर धोखाधड़ी की 11,31,649 और वर्ष 2024 में 17,10,505 शिकायतें सामने आईं। इसका मतलब यह कि वर्ष 2021 की तुलना में 2024 में शिकायतों की संख्या में 15 लाख से अधिक की वृद्धि हुई। 
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यूपीआई धोखाधड़ी के मामले में 85 प्रतिशत बढ़ोत्तरी 
देश में जैसे-जैसे डिजिटल भुगतान बढ़ रहा है, इसे सुरक्षित बनाये रखने को लेकर चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। पिछले साल नवंबर में वित्त मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2024 में देश में यूपीआई धोखाधड़ी के मामले में 85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इस दौरान यूपीआई ठगी के 13.42 लाख मामले सामने आये। जबकि 2023 में ऐसे मामलों की संख्या 7.25 लाख थी। इस तरह से 2024 में जालसालों ने 1,087 करोड़ रुपये की चपत लगाई। जबकि वर्ष 2024-2025 के पहले ही कुछ महीनों में 6.23 लाख यूपीआई जालसाजी के मामले दर्ज हुए। इस दौरान लोगों से 485 करोड़ रुपये ठग लिये गये। 
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बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े
कुछ दिन पहले आई आरबीआई की रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। अप्रैल और सितंबर के बीच, 18,461 धोखाधड़ी के मामले सामने आये और 21,367 करोड़ रुपये ठगे गये। 
क्रेडिट-डेबिट कार्ड फ्रॉड से 177 करोड़ का नुकसान 
बीते वर्ष अगस्त में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से बताया था कि वित्त वर्ष 2023-2024 में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण देश को लगभग 177 करोड़ रुपये की हानि हुई है, जो 2022-2023 की तुलना में दोगुने से अधिक हैं। हालांकि यह देश के साइबर अपराध की स्थिति है। इसका मतलब यह नही कि सिर्फ भारत में ज्यादा जालसाजी हो रही है। साइबर अपराधी दुनिया भर में फैले हैं। दुनिया के साइबर अपराधों को देखें तो हर सेकेंड 1.63 करोड़ की साइबर ठगी हुई है। 
37 प्रतिशत जिलों में साइबर क्राइम सेल नहीं 
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने 2025 में भारतीयों से ₹1.2 लाख करोड़ से ज्यादा की ठगी की आशंका जताई है। यह बिहार के बजट के 50 प्रतिशत के बराबर है। साइबर अपराधियों से निपटने के लिए भारत में 2024 में 24 हजार अधिकारियों को साइबर अपराध से निपटने की ट्रेनिंग दी गई है। 33 राज्यों में साइबर फोरेंसिक लैब हैं। जबकि 37 प्रतिशत जिलों में अभी साइबर क्राइम सेल नहीं हैं। ऐसे में इस साल भारत में 28 हजार करोड़ रूपये साइबर सुरक्षा पर खर्च होने का अंदाजा लगाया गया है।
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