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धोखाधड़ी के मामले में दो सगे भाइयों की अंतरिम जमानत खारिज, वर्ष 2005 का है मामला 

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News Anuj Yadav
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वाराणसी,भदैनी मिरर। धोखाधड़ी कर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर खुद को नगर निगम का ठेका मिलने का झांसा देकर लोगों से धोखाधड़ी करने के मामले में आरोपित दो सगे भाइयों को कोर्ट से राहत नहीं मिली। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट तृतीय) विनोद कुमार की अदालत ने हुकुलगंज, कैंट निवासी रंजीत कुमार व रणधीर कुमार की अंतरिम जमानत अर्जी मामले की गंभीरता को देखते हुए खारिज कर दी। अदालत में जमानत अर्जी का विरोध वादी के अधिवक्ता अनुज यादव, महेंद्र कुमार सिंह व रवि तिवारी ने पक्ष रखा।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी गोपालजी राय ने अदालत के माध्यम से कैंट थाने में एक जुलाई 2005 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी। आरोप था कि उसने मृत जानवरों के शवों को निस्तारित करने के बाबत नगर निगम से एक ठेका 20 अप्रैल 2005 को लिया था। इस दौरान अभियुक्त हुकुलगंज, कैंट निवासी रामजी प्रसाद, रंजीत कुमार, रणधीर कुमार, अनिल कुमार, अरुण कुमार व धृतराज उर्फ टीपू ने आपस में मिलीभगत व साजिश करके खुद को नगर निगम से ठेका मिलने का झांसा देकर जनता के लोगों से धोखाधड़ी करते हुए शवों का निस्तारण करने लगे।

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साथ ही वादी को नगर निगम से मिले ठेके में नुकसान पहुंचाने की नियत से एक फर्जी व कूटरचित कार्ड भी छपवा कर उसे लोगों को बांटना शुरु कर दिया। इसकी जानकारी होने पर जब वादी ने आरोपितों से मिलकर विरोध किया तो वह लोग उसे गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी देने लगे।

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जिस पर उसने इसकी शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से की, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उसने अदालत के जरिए आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना समेत विभिन्न आरोपों में कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसी मामले में दोनों आरोपितों ने कोर्ट में समर्पण कर अंतरिम जमानत के लिए अर्जी थी। जिसे कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।

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