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BHU की महिला प्रोफेसर ने पुलिस जांच को बताया पक्षपाती, FIR में FR दाखिल करने पर उठाए सवाल, DGP को लिखा पत्र 

प्रो. मंजरी मिश्रा ने लगाए लंका थाने पर मनमानी जांच और दबाव बनाने के गंभीर आरोप, डीसीपी काशी की सोशल मीडिया पोस्ट से सामने आया FR की जानकारी

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वाराणसी,भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के ट्रामा सेंटर में कार्यरत महिला प्रोफेसर ने थाना लंका द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में की गई पुलिस जांच को पक्षपाती और एकतरफा बताते हुए एफआर (अंतिम रिपोर्ट) को निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी शिकायत को शुरू से ही अनदेखा किया गया और विवेचक ने बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए और गवाहों को नजरअंदाज कर जांच पूरी कर दी। महिला प्रोफेसर ने यूपी पुलिस के मुखिया राजीव कृष्ण को पत्र लिखा है। पत्र के साथ महिला प्रोफेसर ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक से व्हाट्सअप वार्ता का स्क्रीनशॉट भी लगाया है। 

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महिला प्रोफेसर के अनुसार 26 मई 2025 को ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह, उनके बाउंसर और अन्य ने उनके साथ अभद्रता की और अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। एफआईआर दर्ज कराने के लिए उन्होंने कई बार प्रयास किए, लेकिन थाने द्वारा हीला-हवाली की गई और बाद में मजबूरन 28 मई को दोबारा प्रार्थना पत्र देना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि FIR दर्ज होने के बावजूद विवेचना में उनकी गवाही, और प्रत्यक्षदर्शियों की बातों को दरकिनार कर, आरोपियों के पक्ष में मनगढ़ंत गवाहों का बयान लिया गया। इसके साथ ही उनके पति पर एससी/एसटी एक्ट में कार्रवाई की धमकी देकर दबाव बनाने की कोशिश की गई।

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महिला प्रोफेसर का कहना है कि वह कैंसर की मरीज हैं और मानसिक रूप से पहले से ही अस्वस्थ हैं। पुलिस की कार्यशैली और सोशल मीडिया पर हो रही बदनामी उन्हें अवसाद की ओर धकेल रही है। 
बता दें, डीसीपी काशी गौरव वंशवाल ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व Twitter) पर पोस्ट कर जानकारी दी कि — “महिला द्वारा लगाया गया आरोप झूठा है, जांच में यह असत्य पाया गया है। उनके पति पर ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों द्वारा SC/ST एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज है और महिला द्वारा की गई शिकायत उसी का बचाव प्रतीत होती है।”

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एफआर रद्द करने की मांग 

महिला प्रोफेसर ने डीजीपी को भेजे गए पत्र में कहा कि उनकी एफआईआर में लगे फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर मजिस्ट्रेट के समक्ष उनका बयान लिया जाए और साक्ष्यों के आधार पर मामले में चार्जशीट दाखिल की जाए। उन्होंने कहा कि वह न्याय की अपेक्षा रखती हैं और दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करती रहेंगी।

महिला आयोग कर चुका है ट्रामा सेंटर प्रभारी को हटाने की सिफारिश 
 
इसी मामले को लेकर महिला प्रोफेसर ने राष्ट्रीय महिला आयोग से भी शिकायत की थी। बीते दिनों आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए बीएचयू कुलपति को ट्रामा सेंटर प्रभारी को हटाने की सिफारिश की थी। कार्यस्थल पर उत्पीड़न के मामले पर आयोग ने चिंता जाहिर की थी। आयोग के सुनवाई में आईएमएस डायरेक्टर प्रोफेसर एस. एन. संखवार व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। आयोग के आदेश के बाद डायरेक्टर ने ट्रामा सेंटर प्रभारी को हटाने के लिए कुलपति को पत्र भी लिखा था। 

 

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