Home नेशनल PM Modi की विदेश नीति के मुरीद हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर, इस मुद्दे पर मिलाई हां में हां, किया सपोर्ट

PM Modi की विदेश नीति के मुरीद हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर, इस मुद्दे पर मिलाई हां में हां, किया सपोर्ट

by Ankita Yadav
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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को लेकर सहमति जताई है और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पाकिस्तान को लेकर कड़े रुख का समर्थन किया है। उन्होंने 26/11 मुंबई हमला और 2016 पठानकोट आतंकवादी हमले को विश्वासघात करार देते हुए कहा कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान के साथ बातचीत संभव नहीं है।

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“पाकिस्तान से इस समय वार्ता मुमकिन नहीं” – शशि थरूर

सोमवार को आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में शशि थरूर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ इस समय निर्बाध वार्ता संभव नहीं है क्योंकि कोई भी इस तरह बातचीत नहीं कर सकता जैसे कुछ हुआ ही न हो। हालांकि, उन्होंने लोगों के बीच आपसी संबंधों की जरूरत पर जोर दिया।

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“हकीकत ने मुझे ठगा” – शशि थरूर

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कांग्रेस सांसद ने स्पष्ट किया कि “बात न करना भी कोई नीति नहीं है।” उन्होंने बताया कि वे अपने जीवन के अधिकांश समय शांति और संवाद के पक्षधर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी अब वास्तविकता ने ठगा महसूस कराया है।

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“कुछ हुआ ही न हो, ऐसे बातचीत संभव नहीं”

शशि थरूर ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के रुख का समर्थन करते हुए कहा, “मैं पूरी तरह से विदेश मंत्री से सहमत हूं कि पाकिस्तान से निर्बाध बातचीत संभव नहीं है। आप प्रतिक्रिया देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। उदाहरण के तौर पर, जब 26/11 मुंबई हमला हुआ, तब भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत चल रही थी।”

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उन्होंने आगे कहा, “आप इस तरह से बातचीत जारी नहीं रख सकते जैसे कि कुछ हुआ ही न हो।” उन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर सरकार की सतर्क नीति की सराहना की।

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“अमेरिका से भारतीयों को निकाले जाने पर जताई चिंता”

अमेरिका से भारतीय अप्रवासियों को वापस भेजे जाने के मामले पर भी शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “इससे भारत में काफी चिंता, आक्रोश और असंतोष फैला है।” उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को इस मुद्दे पर वाशिंगटन के साथ संवेदनशीलता से बातचीत करनी चाहिए।

विदेश नीति पर शशि थरूर का संतुलित रुख

शशि थरूर के इस बयान से साफ है कि वह विदेश नीति के मुद्दे पर सरकार के रुख से सहमत नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान को लेकर उनकी स्पष्ट राय दर्शाती है कि भारत को अपनी कूटनीतिक स्थिति मजबूत बनाए रखनी चाहिए। वहीं, अमेरिका के साथ अप्रवासी भारतीयों के मुद्दे पर उन्होंने संवाद और समाधान पर जोर दिया।

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