
काराकाट में जेडीयू ने कर दिया ‘खेला’, पवन सिंह और बीजेपी के अरमानों पर फिरा पानी- महाबली सिंह को मिला टिकट
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में काराकाट सीट पर एनडीए की खींचतान खत्म, जेडीयू ने महाबली सिंह को उम्मीदवार बनाकर किया बड़ा राजनीतिक दांव



पटना/रोहतास। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे चर्चित सीटों में से एक काराकाट को लेकर सियासी सस्पेंस आखिर खत्म हो गया है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने बुधवार को इस सीट से पूर्व मंत्री महाबली सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके साथ ही भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह और उनके समर्थकों की उम्मीदों पर विराम लग गया।



एनडीए में चली थी लंबी रस्साकशी
काराकाट सीट को लेकर पिछले कई दिनों से बीजेपी और जेडीयू के बीच खींचतान चल रही थी। चर्चाएं थीं कि एनडीए पवन सिंह की मां को मैदान में उतार सकता है। हालांकि अंततः सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय होने के बाद यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा दिखाते हुए महाबली सिंह को मैदान में उतारने का फैसला किया। इस फैसले के साथ ही नीतीश ने काराकाट में राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है।
पवन सिंह परिवार बना था चर्चा का केंद्र
भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनके परिवार की गतिविधियों ने काराकाट को बिहार की सबसे चर्चित सीटों में शामिल कर दिया था।
हाल ही में उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने टिकट बंटवारे पर नाराजगी जताई थी और प्रशांत किशोर (जन सुराज) से मुलाकात की थी, जिससे राजनीतिक अटकलें तेज हो गई थीं कि वे बागी उम्मीदवार के रूप में उतर सकती हैं।

नीतीश का दांव और बीजेपी की खामोशी
महाबली सिंह की उम्मीदवारी के साथ नीतीश कुमार ने बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अब इस सीट पर अलग रणनीति बनाने में जुटी है।
एनडीए के भीतर जेडीयू के इस फैसले को “सियासी चालाकी” के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे जेडीयू ने न सिर्फ काराकाट पर पकड़ मजबूत की है बल्कि गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति भी स्पष्ट की है।
सियासी समीकरणों पर निगाह
काराकाट सीट पर अब मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। महाबली सिंह जहां नीतीश कुमार की नीतियों और विकास कार्यों को लेकर मैदान में उतरेंगे, वहीं पवन सिंह समर्थक खेमे में नाराजगी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अब देखना यह होगा कि क्या पवन सिंह या उनके समर्थक किसी दूसरे मोर्चे से सियासी खेल बदलने की कोशिश करते हैं।

