Home वाराणसी Bhadaini Mirror: आचार्य सीताराम चतुर्वेदी का मना 118वीं जन्म जयंती, वक्ताओं ने उनके योगदान को किया याद

Bhadaini Mirror: आचार्य सीताराम चतुर्वेदी का मना 118वीं जन्म जयंती, वक्ताओं ने उनके योगदान को किया याद

by Bhadaini Mirror
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वाराणसी। आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय डोमरी ( रामनगर) वाराणसी स्थित आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी जी का 118वां जन्म जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी के चित्र तथा मां सरस्वती जी के प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर जन्म जयंती कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. तत्पश्चात इस क्रम में महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा कुल गीत तथा बाल विद्यालय, प्रह्लादघाट की छात्राओं द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत किया गया.

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बाल विद्यालय, प्रह्लादघाट के निदेशक मंजुल पाण्डेय ने उपस्थित मुख्य अतिथि प्रो. बलराज पाण्डेय, पूर्व आचार्य– हिन्दी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, संस्कृत विभाग एवं समन्वयक भारत अध्ययन केंद्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय तथा सारस्वत अतिथि डॉ. प्रवीण कुमार “गुंजन” निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, वाराणसी का परिचय कराया.

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बाल विद्यालय, डोमरी के निदेशक मुकुल पाण्डेय ने विशिष्ट अतिथि प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह तथा पौधा देकर उनका सम्मान किया.

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विशिष्ट अतिथि प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में आचार्य जी के ध्येय वाक्य ” न दैन्यम, न पलायनम् ” के बारे में बताते हुए आचार्य जी के साथ अपने अनुभवों को साझा किया. उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में आचार्य जी से मिलने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है. आचार्य जी के प्रतिभा के बारे में महामहोपाध्याय प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी जी भी अपने पुत्र प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी जी से बराबर चर्चा किया करते थे. उन्होंने आचार्य जी द्वारा लिखित कई पुस्तकों का उल्लेख भी किया, जिसमें कालिदास से संबंधित पुस्तक का उन्होंने विशेष जिक्र किया.

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बाल विद्यालय, डोमरी की प्रधानाचार्या नीता त्रिपाठी ने सारस्वत अतिथि डॉ. प्रवीण कुमार “गुंजन” को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह तथा पौधा देकर उनका सम्मान किया. सारस्वत अतिथि डॉ. प्रवीण कुमार “गुंजन” ने कहा कि आज यहां आने के पश्चात आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी के परिवार तथा महामहोपाध्याय प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी जी के पुत्र से मिलकर मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. अभी तक मैंने दोनों विभूतियों के बारे में केवल सुना था आज उनके परिवार के बीच उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.

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महाविद्यालय की निदेशक प्रो. कल्पलता पाण्डेय, पूर्व कुलपति, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया ने मुख्य अतिथि प्रो. बलराज पाण्डेय, पूर्व आचार्य– हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह एवं पौधा देकर उनका सम्मान किया.

मुख्य अतिथि प्रो. बलराज पाण्डेय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं पद में भले प्रोफेसर हूं लेकिन प्रोफेसर बन जाने से कोई विद्वान नहीं कहलाता है. आचार्य जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वह नाटककार, साहित्यकार, लेखक एवं संस्कृत के साथ कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे. उन्होंने बताया कि आचार्य जी कई कॉलेजों में प्राचार्य पद को भी सुशोभित किए हैं. उन्होंने बताया कि आचार्य जी बहुत बड़े विद्वान थे, उन्होंने सैकड़ो पुस्तकों की रचना की है तथा बहुत से नाटकों का लेखन तथा मंचन भी किया है. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी भी आचार्य जी को बहुत सम्मान दिया करते थे.

इस अवसर पर महाविद्यालय की निदेशक महोदया ने भी आचार्य पंडित सीताराम चतुर्वेदी जी को याद करते हुए उनके साथ अपने अनुभवों को साझा किया तथा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं सारस्वत अतिथि सहित सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने मुख्य अतिथि के वक्तव्य कि मैं प्रोफेसर हूं, मगर विद्वान नहीं, पर कहा कि जो पेड़ फल से लद जाता है वह झुक जाता है. अतः आप फल से लदे हुए पेड़ है, जो अपने आप को विद्वान नहीं समझते हैं.
इस अवसर पर नाटककार आशीष त्रिवेदी जी के नेतृत्व में उनकी टीम ने बेटियों की सुरक्षा से संबंधित एक नाटक का मंचन प्रस्तुत किया जिसको देखकर उपस्थित लोग भावविह्वल हो उठे. निदेशक महोदया ने नाटक प्रस्तुत करने वाले प्रत्येक सदस्य को सम्मानित किया. इस अवसर पर बाल विद्यालय डोमरी तथा बाल विद्यालय प्रह्लादघाट की छात्राओं ने विभिन्न संस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किया.

आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय के स्थापना वर्ष 2009 से अब तक प्रत्येक वर्ष बी.एससी. तथा बी.कॉम में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं को इस अवसर पर स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया. महाविद्यालय के वर्ष भर के समाचारों के संकलन “पाथेय” का विमोचन इस अवसर पर अतिथियों द्वारा किया गया.
जन्म जयंती के इस अवसर पर आचार्य जी को याद करते हुए महाविद्यालय में हजारों दियों को जलाया गया.
संगोष्ठी का संचालन अंजलि विश्वकर्मा ने किया।
प्रो.श्रीनिवास ओझा, प्रो. श्रद्धानंद, ओम प्रकाश सिंह, नरेंद्र मिश्र, ब्रजेश पाण्डेय, विनयशील चतुर्वेदी, आशुतोष पाण्डेय, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम नरेश शर्मा, बाल विद्यालय, प्रह्लादघाट की प्रधानाचार्या स्नेहलता पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डॉ. विजय शंकर मिश्र, डॉ. रजनी श्रीवास्तव, डॉ. अरुण कुमार दुबे, डॉ. सुनीति गुप्ता, डॉ. प्रतिमा राय, डॉ. सूर्य प्रकाश वर्मा, दीपक गुप्ता, वरुण अग्रवाल, लवकेश तिवारी, हरेंद्र पाण्डेय, दीपक मिश्रा, ऋचा शुक्ला, प्रतिभा गुप्ता, चंदन चौधरी, संतोष तिवारी, सुरेंद्र तिवारी, संतोष कुमार, शिव प्रकाश यादव, राहुल सिंह, श्रद्धा पाण्डेय, वैशाली पाण्डेय, आशीष सिंह,चंचल ओझा, शाहिना परवीन, बबलू साहनी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक–शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं, अभिभावक, कर्मचारी

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