फर्रुखाबाद मामले में अखिलेश यादव ने साधा निशाना, बोले- कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों और अपराधियों में अंतर ही क्या?
फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान एसपी आरती सिंह अदालत में पूरी प्रक्रिया में मौजूद रहीं; पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा शासन पर प्रशासनिक मनमानी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया
फर्रुखाबाद। फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करने वाली याचिकाकर्ता को धमकाने और वकील को गिरफ्तार कराने के आरोपों के मामले में अदालत ने मंगलवार को अहम फैसला लिया। अदालत ने एसपी आरती सिंह को तब तक कोर्ट में बैठाये रखा जब तक वकील को रिहा नहीं किया गया।
बुधवार को अदालत में इस मामले पर न्यायमूर्ति जे जे मुनीर और संजीव कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान एसपी फर्रुखाबाद आरती सिंह पूरे समय मौजूद रहीं।
इस कार्रवाई के बाद सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर भाजपा शासन पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा: "भाजपा के शासन में संविधान ही नहीं, विधान भी खतरे में है। 'बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून' या किसी अन्य कानून का उल्लंघन जब अधिकारी करेंगे तो अधिकारियों और अपराधियों में क्या अंतर रहेगा। प्रशासन को विधि पर आधारित होना चाहिए, किसी की मनमानी पर नहीं। भाजपा ने प्रशासन का चुनावी दुरुपयोग और भ्रष्टाचारीकरण कर इसे निरंकुश बना दिया है।"
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि फ़र्रुख़ाबाद में प्रशासन की नाइंसाफी का इतिहास चर्चित रहा है और 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रशासनिक धांधली और लाठीचार्ज जैसी घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। फ़र्रुख़ाबाद के उस समय के उच्च अधिकारियों के विरुद्ध भी इसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए थी। उन भ्रष्ट अधिकारियों ने कितना घपला करके भाजपा की सेवा की थी, इसका सबूत उनको तोहफ़े में दिये गये उनके आज के पद दे रहे हैं। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी याद रखें उनका नाम इतिहास में दर्ज़ हो चुका है और भविष्य उनके कुकर्मों का बंद खाता खोलेगा।