वाराणसी, भदैनी मिरर। डोमरी, रामनगर, वाराणसी स्थित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय में आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी जी की 118वीं जयंती के अवसर पर “भारतीय ज्ञान परंपरा एवं अभिनवभारत आचार्य सीताराम चतुर्वेदी का अवदान” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।



संगोष्ठी का उद्घाटन आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी और मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया। इस मौके पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, विशिष्ट अतिथि प्रो. अवधेश प्रधान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. शशिकला त्रिपाठी, प्रो. कल्पलता पाण्डेय और महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रामनरेश शर्मा उपस्थित रहे।



संगोष्ठी में महाविद्यालय में औषधीय पादप उद्यान का उद्घाटन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों औषधीय पौधों का रोपण किया गया। इसके बाद महाविद्यालय के नवनिर्मित टॉपर छात्राओं के एक्सीलेंस जोन का भी उद्घाटन किया गया।




संगोष्ठी की मुख्य वक्ता प्रो. शशिकला त्रिपाठी ने आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी के योगदान और उनके द्वारा रचित 80 नाटकों का उल्लेख किया, वहीं विशिष्ट अतिथि प्रो. अवधेश प्रधान ने आचार्य जी के दर्शन और आशीर्वाद के अनुभव साझा किए। मुख्य अतिथि प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने आचार्य जी के बहुआयामी व्यक्तित्व और रचनाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।


संगोष्ठी के अंत में महाविद्यालय की निदेशक ने आचार्य जी के योगदान पर विचार व्यक्त करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। इसके बाद आचार्य जी से संबंधित रचनाओं और उनके व्यक्तिगत सामानों का संग्रहालय भी खोला गया।

संगोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रो. विनीता सिंह, प्रो. मनोहर राम, डॉ. संजय प्रकाश, और अन्य शिक्षाविदों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का संचालन रिचा शुक्ला ने किया।