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पूर्व जेल अधीक्षक वाराणसी उमेश सिंह हुए निलंबित, फर्जी आदेश के आधार पर बंदी की हुई थी रिहाई 

विवादों से रहा है उनका पुराना नाता, जाने कब-कब विवादों से जुड़े नाम 

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Doctor Umesh singh
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वाराणसी,भदैनी मिरर। विवादों में घिरे वाराणसी जिला जेल के अधीक्षक उमेश सिंह को आखिरकार निलंबित कर दिया गया. सत्ता से लेकर आईपीएस लॉबी तक अपनी पहुँच का धाक जमाने वाले डॉक्टर उमेश सिंह का पैंतरा काम नहीं आया. यह कार्रवाई फर्जी आदेश के आधार पर हुई बंदी सुनील कुमार की रिहाई के जाँच के बाद हुई है. इसकी जाँच डीआईजी जेल वाराणसी परिक्षेत्र के जाँच रिपोर्ट के आधार पर हुई है. 

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फर्जी आदेश के आधार पर हुई सुनील की रिहाई के मामले में लालपुर-पांडेयपुर थाने में केस रजिस्टर्ड होने के बाद सुनील कुमार खुद मीडिया के सामने आया, बताया कि कैसे जेल अधीक्षक ने जज तक अपना परिचय बताते हुए रिहाई की सेटिंग करवाई. कोठीबदार (सादाबाद)हाथरस निवासी बंदी सुनील कुमार ने बताया कि उसके जमानत की सुनवाई हाईकोर्ट में पेंडिंग थी, वह अपने केस की पैरवी नहीं कर पा रहा था. जिसके बाद एक राइटर के माध्यम से उसकी बात जेल अधीक्षक उमेश सिंह से उनके कार्यालय में करवाई गई. 

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15 लाख में हुई डील फाइनल 


न्यूज़ चैनल पर बंदी सुनील कुमार ने जो खुलासा किया उसके मुताबिक जेल अधीक्षक ने जज तक अपनी सेटिंग होने की बात कही. हाईकोर्ट से बेल करवाने के लिए जिला जेल अधीक्षक रहे उमेश सिंह ने 30 लाख रूपये की डिमांड की, लेकिन 15 लाख रुपये में डील फाइनल हुई. सुनील ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर उमेश सिंह ने अपने व्हाट्सअप के माध्यम से सुनील कुमार को उसके खास परिचित से बात करवाई. आरोप है कि डॉक्टर उमेश सिंह ने चेक और ऑनलाइन पैसे लेने से मना कर दिया और कैश पैसे की डिमांड की. उमेश सिंह ने जज के नाम पर 10 लाख और खुद के लिए 5 लाख रुपये लिए. हालाँकि इस आरोपों का भदैनी मिरर पुष्टि नहीं करता लेकिन डॉक्टर उमेश सिंह का विवादों से गहरा नाता है. 

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रतन प्रिया मामले में दोषी


जिला जेल वाराणसी में डिप्टी जेलर रही रतन प्रिया ने भी वर्ष 2024 में 2 जुलाई को जेल अधीक्षक डॉ उमेश सिंह पर दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव सूचक शब्दों के प्रयोग और अमर्यादित भाषा का आरोप लगाया था. जिसके बाद कारागार मुख्यालय स्तर पर गठित आन्तरिक शिकायत समिति की जांच में महिला उप कारापालों के साथ अमर्यादित भाषा, आचरण प्रदर्शित करने, मानसिक पीड़ा, भावनात्मक कष्ट पहुँचाने, लैंगिक भेदभाव सूचक शब्दों का प्रयोग करने आदि के लिये प्रथमदृष्ट्या दोषी पाया है.उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली के तहत अनुशासनिक कार्यवाही की संस्थित की गई है.

BNS
विवादों से उमेश सिंह का रहा पुराना नाता

2021: मुरादाबाद जेल में कैदियों से सट्टा खिलाने का मामला

साल 2021 में उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद जेल में कैदियों से सट्टा खिलवाने का मामला सामने आया था. यह खेल जेल अधिकारियों की सरपरस्ती में चल रहा था. जब मेरठ के डीआईजी जेल ने इस मामले की जांच की, तो पाया गया कि दो हेड जेल वार्डर बंदियों से पैसे इकट्ठा कर बाहर सट्टे की पर्चियां लगवाते थे. इस मामले में जांच के बाद तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी. साथ ही, तीन डिप्टी जेलरों को जवाब तलब किया गया और दो बंदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट किया गया.

2023: सुल्तानपुर जेल में कैदियों की संदिग्ध अवस्था में मौत का मामला


साल 2023 में सुल्तानपुर जिला जेल में अमेठी के दो बंदियों की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी. जेल प्रशासन ने दावा किया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली, लेकिन परिजनों ने इसे हत्या करार दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों बंदियों की मौत पहले ही हो चुकी थी और उनके शरीर पर चोटों के निशान थे. इस मामले में डीएम ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे. रिपोर्ट में पाया गया कि दोनों बंदियों को जहर दिया गया था और 12 घण्टे से दोनों ने कुछ नहीं खाया था. हालांकि, इस मामले में कार्रवाई के बजाय, तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह का ट्रांसफर वाराणसी जेल कर दिया गया.
Navneeta

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