वाराणसी,भदैनी मिरर। भदैनी के चर्चित हत्याकांड के मुख्य आरोपी 1 लाख के इनामी बदमाश विशाल उर्फ विक्की को पकड़ने के लिए कमिश्नरेट की एसओजी और सर्विलांस टीम को 93 दिन तक मेहनत करनी पड़ी. पुलिस जिस भी एंगल पर जाँच कर रही थी विक्की उससे एक कदम आगे की सोच रहा था. आईटी क्षेत्र की अच्छी जानकारी होने की वजह से सर्विलांस टीम को भी इतने दिन तक कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. विक्की न तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा था और न ही किसी एटीएम का. दिन बीतने के साथ ही सर्विलांस और एसओजी टीम के लिए एक केस चुनौती बनती जा रही थी.
कहते है “कानून के हाथ लम्बे होते है” तो वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस ने उसे सिद्ध करते हुए न केवल विक्की को बल्कि उसको फाइनेंसियल सपोर्ट करने वाले उनके छोटे भाई प्रशांत उर्फ जुगनू को अरेस्ट कर इस सनसनीखेज घटना का पर्दाफाश कर दिया है. हालांकि पुलिस घटना में इस्तेमाल हथियार बरामद नहीं कर पाई है.
इस पूरी घटना में प्रभारी निरीक्षक सर्विलांस सेल दिनेश कुमार यादव, एसओजी प्रभारी दरोगा मनीष मिश्र ने काफी मेहनत की. पुलिस हथियार बरामद करने के लिए विशाल उर्फ विक्की का पुलिस कस्टडी रिमांड लेगी. पुलिस को विक्की ने बताया कि उसने ढाई दशक बाद अपने परिवार और बाबा के हत्या का बदला लिया है. राजेंद्र गुप्ता के प्रति विक्की का आक्रोश तब और बढ़ा जब कुछ वर्ष पूर्व प्रशांत उर्फ जुगनू को कई दिनों तक कमरे में बंद कर दिया. राजेंद्र भतीजों को प्रताड़ित करता रहा. जिसके बाद विशाल उर्फ विक्की ने बदला लेने की ठान ली और फिर दो साल पहले से इसकी वह प्लानिंग करने लगा. इसके लिए विशाल उर्फ विक्की डेढ़ साल पहले मधुबनी (बिहार) से पिस्टल ख़रीदा था. वह आम जनता बनकर कानून की जानकारी रखने वालों से कनूनी दांव पेंच की जानकारी हासिल करता रहा.
हैरान करने वाली बात यह है कि विशाल उर्फ विक्की पहले 4 नवम्बर 2024 को रोहनिया पहुंचकर चाचा राजेंद्र गुप्ता की हत्या की और उसके बाद 5 नवम्बर की सुबह 6 बजे भदैनी स्थित आवास पर चाची नीतू गुप्ता, उनके पुत्र नवनेन्दु (22), शुभेंदु (16) और बेटी गौरांगी (17) वर्ष को हमेशा के लिए सुला दिया. इस पूरी घटना के बाद एक साथ जब 5 शवों की चिता हरिश्चंद्र घाट पर जली तो सबकी आंखें डबडबा गई थी.
पुलिस कस्टडी में भी नहीं टूटा जुगनू
घटना के बाद पुलिस ने प्रारंभिक शक के आधार पर जुगनू को अपनी कस्टडी में रखा था. पुलिस कस्टडी में उससे कई बड़े अफसरों ने पूछताछ की, लेकिन वह नहीं टुटा. पुलिस को गुमराह करता रहा कि विक्की परिवार में किसी से बातचीत नहीं करता. जुगनू के बयान के आधार पर पुलिस कई स्टेट में छापेमारी करती रही, जबकि घटना के बाद फरार होते समय विक्की को जुगनू ने 76 हजार रुपये दिए थे. चर्चित मामला होने के कारण जुगनू इतने दिनों में ज्यादा दिन तक रेलवे स्टेशनों और बस स्टेशनों पर रहा. बीच-बीच में वह होटलों में भी रहा. विक्की इस बीच फर्जी ईमेल और इंस्टाग्राम से अपने भाई जुगनू के टच में रहा.