इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के सारनाथ में जुआ छापेमारी के दौरान 41 लाख रुपये लूटने के आरोपी तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता को राहत प्रदान की है। कोर्ट ने लूट और धोखाधड़ी के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है। परमहंस ने अपनी याचिका में केस रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी।
सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। वहीं, सह आरोपी धर्मेंद्र चौबे को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। पुलिस की टीम इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन अब तक वह फरार है।
पुलिस पर उठे सवाल
इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी न होने से पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जनता का आरोप है कि अफसरों की मिलीभगत के कारण इंस्पेक्टर पर नरमी बरती गई। परमहंस ने स्थानीय कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन कमजोर पुलिस रिपोर्ट के कारण हाईकोर्ट में उन्हें राहत मिल गई।
इंस्पेक्टर के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि विभागीय कार्रवाई लंबित रहते आपराधिक मामले में कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। दोनों प्रक्रियाएं एक साथ नहीं चल सकतीं। कोर्ट ने याचिका पर फैसला आने तक इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
जानें पूरा मामला
7 नवंबर को सारनाथ के तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और चौबेपुर के धर्मेंद्र चौबे ने फर्जी सीएम ओएसडी बनकर रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में छापा मारा। वहां जुए का अड्डा संचालित हो रहा था, जिसमें लाखों रुपये दांव पर लगे थे। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने जुए की फड़ से 40-41 लाख रुपये दो बैग में भर लिए। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि इंस्पेक्टर लिफ्ट से उतर रहे थे और उनके साथी धर्मेंद्र के हाथ में दो बैग थे।
सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद पुलिस कमिश्नर ने परमहंस गुप्ता को लाइन हाजिर कर सस्पेंड कर दिया। धर्मेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जबकि परमहंस फरार हो गए।
विवादों से पुराना नाता
परमहंस गुप्ता का विवादों से पुराना संबंध है। चेतगंज और चोलापुर में थानाध्यक्ष रहते हुए लापरवाही और शिकायतों के चलते उन्हें हटाया गया था। लेकिन बाद में राजनीतिक जोड़-तोड़ से उन्होंने मलाईदार पदों पर तैनाती पाई।
मुंबई में पकड़ा गया धर्मेंद्र
41 लाख की लूट के मामले में फरार धर्मेंद्र चौबे उर्फ पिंटू को पुलिस ने मुंबई में उसकी बहन के घर से गिरफ्तार किया। धर्मेंद्र ने घटना के बाद अपना मोबाइल बंद कर प्रयागराज और फिर मुंबई में शरण ली थी। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से उसकी लोकेशन का पता लगाया।
पूछताछ में धर्मेंद्र ने नहीं दिया सहयोग
डीसीपी वरुणा जोन ने धर्मेंद्र से कई घंटे पूछताछ की, लेकिन उसने लूट से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी। वह बार-बार कहता रहा कि घटना के बारे में केवल परमहंस गुप्ता को जानकारी है।
सारनाथ एसओ ने दर्ज कराई एफआईआर
जुए के दौरान हुई इस लूट में वादी न मिलने के कारण सारनाथ एसओ ने खुद ही इंस्पेक्टर और धर्मेंद्र के खिलाफ केस दर्ज कराया। मामला तूल पकड़ने पर परमहंस ने लखनऊ के अधिकारियों से सेटिंग कर तबादला करा लिया। पुलिस अब भी परमहंस की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।