वाराणसी। सुबह-ए-बनारस आनंद कानन की ओर से आयोजित होने वाले काव्यार्चन के अंतर्गत एक और महत्वपूर्ण शुरुआत मंगलवार को हुई। महीने के चारों मंगलवार को कार्यक्रम की शुरुआत की श्रृंखला में तीसरे मंगलवार को कविकुल काव्यार्चन का विशेष आयोजन किया गया। यह सत्र भगवान श्रीराम के अननाय उपासक गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित रहा।



नगर के वरिष्ठ गीतकार गिरीश पांडेय की अध्यक्षता में कविकुल काव्यार्चन का आरंभ हुआ ‘काशी में गंगा की धारा काशी में उच्च शिवाला है, काशी मुमुक्ष की नगरी है काशी का सूर्य निराला है’ पंक्तियों से संचालक महेंद्र तिवारी अलंकार ने डॉ. अलका दुबे को गोस्वामी जी की रचना का पाठ करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने संत तुलसीदास कृत ‘वैराग्य संदीपनी’ के दोहों का पाठ किया। इस क्रम को नगर के वरिष्ठ रचनाकार गणेश प्रसाद गंभीर ने आगे बढ़ाया। उन्होंने संत तुलसीदास की कवितावली से रचनाओं का पाठ किया। इसके उपरांत राजलक्षमी मिश्र ने ‘सीता लखन समेत प्रभु सोहत तुलसीदास,हर सुर बरसत सुमन सगुन सुमंगल बास’ सहित कयी लोकप्रिय दोहों का पाठ किया।






इस क्रम को आगे बढ़ते हुए कविकुल काव्यार्चन का संचालन कर रहे हैं नगर के वरिष्ठ कवि महेंद्र तिवारी अलंकार ने तुलसी बाबा की चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। बरवय रामायण से अप्रचलित छन्दों का पाठ किया। बानगी कुछ यूं रही। ‘बड़े नयन कुटि भृगुटी भाल विशाल, तुलसी मोहत मनहिं मनोहर भाल।’ इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे गिरीश पांडेय ने विनय पत्रिका से रचनाओं का पाठ किया।


बीना त्रिपाठी, सूर्य प्रकाश मिश्र, जगदीश्वरी चौबे, सूर्यकांत त्रिपाठी, प्रेम नारायण सिंह ने काव्यपाठ करने वाले रचनाकारों को प्रमाण पत्र प्रदान किया। आरंभ में आमंत्रित कवियों को अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मान प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’, रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’ ने किया। रचनाकारों का स्वागत डॉ. नागेश शांडिल तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रताप शंकर दुबे ने किया।
