वाराणसी। अयोध्या की दीपमालिका के बाद अब काशी का भव्य उत्सव जैसे त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने पर दीपमालाओं से स्वागत पाया था, वैसे ही 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में उनकी भव्य मंदिर स्थापना हुई। इस ऐतिहासिक क्षण के ठीक एक वर्ष बाद, 11 जनवरी को काशी के अस्सी घाट पर गंगा आरती के दौरान वही अद्भुत दृश्य देखने को मिला।
गंगा आरती में 1100 दीपों का प्रकाश और भव्य रंगोली
अस्सी घाट पर जय मां गंगा सेवा समिति के आयोजन में 1100 दीप जलाए गए। मां गंगा की प्रतिमा के समक्ष रंगोली सजाई गई और भव्य आरती संपन्न हुई। प्रभु राम के जयकारों और भक्तिमय गीतों से माहौल भक्तिरस में डूब गया। आरती स्थल पर श्रद्धालुओं ने प्रभु राम के गीत गाए और भगवान की उपस्थिति को महसूस किया। सात पुजारियों द्वारा विशेष आरती का आयोजन किया गया, जिसमें भगवान राम के भव्य मंदिर के पूर्ण रूप से तैयार होने की कामना की गई।
गंगा आरती के मुख्य आयोजक यश ओझा ने कहा, “आज का दिन बेहद शुभ और ऐतिहासिक है। प्रभु रामलला 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आज ही के दिन अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हुए थे। हमने बचपन से यह सुना था कि राम मंदिर बनेगा, और आज वह सपना साकार हो गया है। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। यह हमारे सनातन धर्म की अद्भुत विजय है।”
गंगा आरती के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। हर भक्त भावविभोर होकर प्रभु राम के जयकारे लगा रहा था। दीपों की रोशनी और आरती की गूंज ने पूरे घाट को दिव्यता से भर दिया।
सनातन धर्म की जीत का प्रतीक
यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और उसकी गौरवमयी परंपराओं का प्रतीक था। राम मंदिर की स्थापना और गंगा आरती के जरिए यह संदेश दिया गया कि धर्म और संस्कृति की जड़ें अटूट और अमिट हैं।