वाराणसी। एपेक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल के किडनी रोग संस्थान द्वारा दो दिवसीय क्रोनिक गुर्दा रोग एवं गुर्दा प्रत्यारोपण हेतु निःशुल्क परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। गुर्दा रोगियों के लिए जागरूकता और उपचार की नई संभावनाओं के उद्देश्य से चेयरमैन प्रो डॉ एसके सिंह, निदेशक डॉ स्वरूप पटेल के दिशा-निर्देशन में आयोजित इस शिविर का नेतृत्व अनुभवी ट्रांसप्लांट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. निवेदिता पंडित एवं ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ पीके केशरी एवं डॉ. पुनीत कुमार ने किया, जिसमें चेन्नई के 1000 से अधिक ट्रांसप्लांट अनुभव वाले प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रभु कांची द्वारा डायलिसिस पर निर्भर मरीजों और पुरानी गुर्दा बीमारी से ग्रस्त 28 मरीजों को निःशुल्क परामर्श प्रदान किया गया। मरीजों को गुर्दा प्रत्यारोपण की संभावनाओं, प्रक्रिया और इसके फायदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। डॉक्टरों ने मरीजों को एपेक्स किडनी रोग संस्थान की विशेषताओं से परिचित कराया, जिसमें मुख्यतः ट्रांसप्लांट के लिए समर्पित ऑपरेशन थिएटर (ओटी), अल्फा फ़िल्टर से सुसज्जित संक्रमणमुक्त सेपरेट आईसीयू, ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल, एडवांस्ड रीनल डायग्नोस्टिक एवं पैथोलॉजी, ब्लड-बैंक आदि सुविधाएं शामिल हैं। यह शिविर गुर्दा रोगियों के लिए एक सफल प्रयास रहा।
हेल्थ
गुजरात में मिला HMPV वायरस का तीसरा केस, जानें लक्षण और बचाव के उपाय
बेंगलुरु: हाल ही में कर्नाटक और गुजरात में HMPV (Human Metapneumovirus) वायरस के संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। कर्नाटका में दो बच्चों में यह वायरस रुटीन जांच के दौरान पाया गया। इन बच्चों में किसी प्रकार के गंभीर लक्षण नहीं थे और वे नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल गए थे। वहीं, गुजरात के अहमदाबाद में एक 2 महीने का बच्चा गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती हुआ, और उसकी जांच के बाद HMPV वायरस का संक्रमण पाया गया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस बारे में बयान दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस वायरस के प्रसार पर काबू पाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने इसे एक सामान्य फ्लू वायरस बताया और कहा कि इस पर घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस वायरस पर निगरानी रखेगी और भारत सरकार तथा ICMR से चर्चा की जाएगी।
HMPV वायरस के लक्षण और प्रसार
HMPV वायरस के लक्षण कोविड-19 से मिलते-जुलते होते हैं, जिनमें सर्दी, बुखार, खांसी और गले में खराश शामिल हैं। यह वायरस विशेष रूप से बच्चों पर प्रभाव डालता है, खासकर 2 साल से कम उम्र के बच्चों में। वायरस खांसने, छींकने या संक्रमित वस्तुओं के संपर्क से फैलता है। हालांकि, इस वायरस का प्रभाव सामान्यतः हल्का होता है और इसके लक्षण सामान्य वायरल संक्रमण की तरह होते हैं।
वायरस के प्रसार को रोकने के उपाय
- हाथों की स्वच्छता: साबुन और पानी से 20 सेकंड तक हाथ धोएं।
- चेहरे का बचाव: बिना हाथ धोए चेहरा न छुएं।
- मास्क का उपयोग: भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनें।
- सतहों की सफाई: बार-बार छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से साफ करें।
- बीमार होने पर घर पर रहें: लक्षण होने पर दूसरों के संपर्क में आने से बचें।
सरकार का बयान
केंद्र सरकार ने इस वायरस के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह इस मौसम में सामान्य फ्लू वायरस जैसा है। सरकार ने यह भी बताया कि इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के मामलों की निगरानी के लिए एक मजबूत सिस्टम मौजूद है और HMPV पर निगरानी रखी जा रही है। इसके अलावा, भारत सरकार ने WHO से इस वायरस पर समय-समय पर अपडेट देने को कहा है, ताकि चीन में हो रहे हालात को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाए जा सकें।
कायाकल्प अवार्ड में फर्स्ट रनर अप का PHC दुर्गाकुंड को मिला खिताब, बोले सीएमओ- सामूहिक प्रयासों का परिणाम
वाराणसी,भदैनी मिरर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत कायाकल्प योजना 2023-24 में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Urban Primary Health Center) दुर्गाकुंड ने फर्स्ट रनर अप का खिताब हासिल किया। इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए आयोजित समारोह में वाराणसी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer) डॉ. संदीप चौधरी ने शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) के पते को क्यूआर कोड के माध्यम से लॉन्च किया। अब क्यूआर कोड स्कैन करके अस्पताल की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
साथ ही, इस अवसर पर गैर-संचारी रोगों के लिए अलग से स्थापित एनसीडी क्लिनिक का भी उद्घाटन किया गया, जहां मरीज मुफ्त में बीएमआई, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और अन्य स्वास्थ्य जांच करवा सकते हैं।
सामूहिक प्रयासों का परिणाम: सीएमओ
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि किसी भी बड़ी सफलता के पीछे समर्पण और सामूहिक प्रयासों की अहम भूमिका होती है। उन्होंने पीएचसी दुर्गाकुंड के सभी स्वास्थ्यकर्मियों को उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता के लिए सराहा। उन्होंने टीम को “कायाकल्प अवार्ड” दिलाने के लिए बधाई दी और भविष्य में एन्क्वास की तैयारी को लेकर मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
नोडल अधिकारी ने जताई भविष्य की उम्मीदें
नोडल अधिकारी (एनयूएचएम) डॉ. अमित सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यह उपलब्धि राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के मानकों और मापदंडों को पूरा करने का नतीजा है। उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में यहां और उन्नत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे क्षेत्र के लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
टीम वर्क का नतीजा
डॉ. अमित सिंह ने इस सम्मान को पूरे पीएचसी स्टाफ की मेहनत और टीम वर्क का नतीजा बताते हुए कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों की यह लगन और प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्वास्थ्य केंद्र की टीम इसी जोश के साथ काम करती रहेगी।
इस अवसर पर पीएचसी प्रभारी डॉ. अंकिता मिश्रा, डिवीजन सलाहकार मयंक राय, कमल, और अन्य अस्पताल कर्मचारी मौजूद थे। सभी ने इस उपलब्धि पर अपनी खुशी जाहिर की और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की।
स्वस्थ दृष्टि संमृद्ध काशी अभियान: नेत्र परीक्षण और मोतियाबिंद ऑपरेशन में हासिल की बड़ी उपलब्धि, अबतक 701,402 लोगों की हुई स्क्रीनिंग
वाराणसी। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित स्वस्थ दृष्टि संमृद्ध काशी अभियान वाराणसी के नागरिकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस अभियान के तहत 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों का घर-घर नेत्र परीक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अभियान में राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टिदोष कार्यक्रम के सहयोग से काशीवासियों को स्वस्थ दृष्टि का लाभ दिया जा रहा है।
मुख्य उपलब्धियां
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं:
701,402 लोगों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें से 100,197 मरीजों को नेत्र कैंप के लिए रेफर किया गया।
44,811 लोगों को चश्मों का वितरण किया गया।
22,649 मरीज मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए चिन्हित, जिनमें से 12,754 का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया।
सद्गुरु सेवा संघ ने इस अभियान में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने घर-घर जाकर नेत्र परीक्षण के साथ 12,754 मोतियाबिंद ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता कार्यक्रम के आंकड़े
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजय राय ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 49,555 मोतियाबिंद ऑपरेशन का लक्ष्य रखा गया, जिसमें नवंबर तक 18,615 ऑपरेशन पूरे किए गए। सरकारी अस्पतालों में 3,345 और निजी अस्पतालों में 15,270 ऑपरेशन किए गए। बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष पहल के तहत 2,487 बच्चों और 1,127 बुजुर्गों को चश्मों का वितरण किया गया।
जन सहयोग से सफलता
इस अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी बड़ा योगदान है। उनके सहयोग से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और सेवाओं को पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।
सीएमओ की अपील
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने काशीवासियों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति मोतियाबिंद से पीड़ित है, तो वह नजदीकी सरकारी अस्पताल में जांच कराकर नि:शुल्क ऑपरेशन करवा सकता है।
वाराणसी। एपेक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल वाराणसी में आयुष्मान भारत के अंतर्गत कुशल नेत्र सर्जन डॉ स्वप्निल सिंह एवं डॉ सनी गुप्ता, एमएस ऑफथेल्मोलॉजी द्वारा प्रतिदिन निःशुल्क मोतियाबिंद एवं लेंस प्रत्यारोपण ऑपरेशन किए जा रहे हैं अब तक शीतकालीन सत्र में 170 निःशुल्क मोतियाबिंद मोतियाबिंद सर्जरी कर आज 36 मरीजों का सफल ऑपरेशन कर उन्हें डिस्चार्ज किया गया. केंद्र सरकार द्वारा 70 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के बुजुर्ग आयुष्मान भारत के अंतर्गत निःशुल्क मोतियाबिंद सर्जरी एवं लेंस प्रत्यारोपण का लाभ उठा सकते हैं। चेयरमैन प्रो डॉ एसके सिंह ने अवगत कराया कि सभी को साफ दृष्टि देने के उद्देश्य से एपेक्स सोशल वेलफेयर डिपार्ट्मेन्ट द्वारा एपेक्स ट्रस्ट हॉस्पिटल चुनार में प्रत्येक सोमवार एवं बुधवार को नियमित रूप से निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन और लेंस प्रत्यारोपण सर्जरी संपादित की जाती है, गत वर्षों में 10 हजार से भी अधिक सफल सर्जरी कर इस वर्ष अब तक 865 निःशुल्क मोतियाबिंद सर्जरी संपन्न हो चुकी हैं।
IMS-BHU के डॉक्टरों ने 65 वर्षीय मरीज के जटिल वीएसडी को डिवाइस क्लोजर से किया सफल इलाज, मायोकार्डियल इंफार्क्शन से जूझ रहा था मरीज
वाराणसी: आईएमएस बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दिया है। प्रो. विकास अग्रवाल, डॉ. प्रतिभा राय, डॉ. सृष्टि, और डॉ. अर्जुन की अनुभवी टीम ने 65 वर्षीय मरीज के वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) को सफलतापूर्वक डिवाइस क्लोजर के माध्यम से ठीक किया। मरीज हाल ही में मायोकार्डियल इंफार्क्शन (हार्ट अटैक) से उबर रहा था। इस उपलब्धि को इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मरीज की उपचार प्रक्रिया में न केवल वीएसडी डिवाइस क्लोजर शामिल था, बल्कि अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों के लिए एंजियोप्लास्टी भी की गई। डॉक्टरों की कुशलता और समर्पण के चलते मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपनी दैनिक गतिविधियों में लौट आया है।
क्या है वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी)
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) हृदय की उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें हृदय के दाएं और बाएं हिस्सों को अलग करने वाले वेंट्रिकुलर सेप्टम में छेद हो जाता है। यह समस्या मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) के बाद होने वाली एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है। वेंट्रिकुलर सेप्टम हृदय में ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित रक्त को अलग रखने का कार्य करता है। यदि इसका रक्त प्रवाह प्रभावित हो, तो सेप्टम में नेक्रोसिस और फिर रुप्चर हो सकता है, जिससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है।
नए तकनीकी समाधान ने घटाया जोखिम
डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि पोस्ट-एमआई वीएसडी क्लोजर करना विशेष रूप से बुजुर्ग मरीजों में अत्यधिक जटिल होता है। हालांकि, कैथ लैब तकनीकों में हुई प्रगति** के चलते अब यह प्रक्रिया बिना किसी बड़े चीड़-फाड़ के, न्यूनतम खतरे के साथ की जा सकती है।
सीटीवीएस विभाग के प्रमुख प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया ने कहा, “पहले इस प्रकार के मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती थी, जो मरीज के लिए अत्यधिक जोखिम भरी होती थी। लेकिन अब नई तकनीकों ने इन जटिलताओं को सुलझाना संभव बना दिया है।”
मरीज की वर्तमान स्थिति
मरीज को उपचार के बाद नियमित फॉलोअप में रखा गया, और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा क्षेत्र में आईएमएस बीएचयू की प्रगति को रेखांकित करती है, बल्कि गंभीर हृदय समस्याओं के लिए नई उम्मीद भी जगाती है।
अगले 24 घंटों में बदलेगा मौसम का मिजाज, यूपी के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट!
उत्तर प्रदेश में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में मौसम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। तेज ठंडी हवाओं, बारिश, और ओलावृष्टि के कारण ठिठुरन और बढ़ने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 27 दिसंबर को तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि का अनुमान जताया है। अगले 24 से 48 घंटों के भीतर प्रदेश में मौसम अचानक करवट ले सकता है, जिससे तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी।
बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट
शुक्रवार और शनिवार को उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, गुरुवार को मौसम साफ रहेगा, लेकिन घने कोहरे की संभावना है। IMD ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है और संभावित बारिश-ओलावृष्टि से फसलें बचाने के उपाय करने का आग्रह किया है।
लखनऊ में हल्की बारिश दर्ज
बुधवार को राजधानी लखनऊ में 0.5 मिमी बारिश हुई, जिससे दिन के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, दोपहर की धूप के कारण न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रहा।
26 दिसंबर का मौसम
26 दिसंबर को प्रदेश में मौसम मुख्यतः साफ रहेगा। पश्चिमी और पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया गया है। सुबह और देर रात को कोहरा छाने की संभावना है।
27 दिसंबर: बारिश और ओलावृष्टि का अनुमान
27 दिसंबर को प्रदेश के कई हिस्सों, विशेषकर पश्चिमी यूपी में बारिश और गरज-चमक के साथ ओले गिरने का पूर्वानुमान है। श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर और सहारनपुर जैसे जिलों में घने कोहरे का अलर्ट जारी किया गया है।
27 और 28 दिसंबर: मौसम साफ रहने की संभावना
27 और 28 दिसंबर को प्रदेश में मुख्यतः साफ मौसम रहेगा, लेकिन सुबह और देर रात को हल्के से मध्यम कोहरे के आसार हैं। इसके बाद फिर से ठंड और कोहरे का प्रभाव बढ़ सकता है।
कोहरा कहां पड़ेगा सबसे ज्यादा
गुरुवार को गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, सीतापुर, बहराइच, सहारनपुर, मेरठ, और गाजियाबाद समेत कई जिलों में घने कोहरे की संभावना है। 27 और 28 दिसंबर को भी पश्चिमी और पूर्वी यूपी में बारिश और कोहरे का असर देखने को मिलेगा।
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में तापमान में और गिरावट और ठंड बढ़ने की संभावना जताई है। 29 दिसंबर के बाद ठंड का प्रकोप और बढ़ सकता है।
वाराणसी। एपेक्स सुपर स्पैशलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों ने निदेशक डॉ अंकिता पटेल, कैंसर विशेषज्ञ डॉ गौरव गोस्वामी, डॉ सुबूही जाफ़र, फिजीशियन डॉ रोहित सिंह, नेफ़रोलॉजिस्ट डॉ निवेदिता पंडित एवं ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉ सौम्याश्री, नर्सिंग एवं पैरमेडिकल स्टाफ ने केक काटकर मरीजों संग क्रिसमस मनाया। इस अवसर पर बीमार बच्चों ने क्रिसमस गतिविधियों में खुशी से हिस्सा लेने की इच्छा दिखाते हुए इस दिन को बेहद खास बना दिया। एपेक्स के चेयरमैन प्रो डॉ एसके सिंह ने मरीजों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना करते हुए क्रिसमस की शुभकामनाएँ दीं।
एपेक्स के विदाई समारोह में छात्रों ने जाना उच्च स्पेशियलाइज्ड फिजियोथेरेपी शिक्षा
वाराणसी। एपेक्स कॉलेज ऑफ़ फिजियोथेरेपी के जूनियर छात्रों द्वारा 18वें डीपीटी एवं एवं 5वें बीपीटी छात्रों का विदाई समारोह सांदिश्य 2024 का आयोजन किया गया. एपेक्स के चेयरमैन डॉ एसके सिंह, निदेशक डॉ अंकिता पटेल, प्रधानाचार्य डॉ अक्षय दीक्षित, उपप्रधानाचार्य डॉ पुनीत जायसवाल एवं फैकल्टी की उपस्थति में मुख्य अतिथि प्रो अभिमन्यु सिंह, विभागाध्यक्ष फिज़िकल एजुकेशन बीएचयू, विशिष्ट अतिथि प्रशासनिक अधिकारी, काशी विद्यापीठ अरिंदहम श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ सर्जन प्रो आनंद कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर विदाई समारोह का शुभारम्भ किया. छात्रों द्वारा गणेश नृत्य वंदना, स्वागत गीत, सोलो एवं ग्रुप डांस और गीत प्रस्तुत करते हुए सीनियर छात्रों ने अपने संस्मरण प्रस्तुत किए.। गणमान्य अतिथियों ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए पुराने छात्रों को उनके शत प्रतिशत परिणाम के लिए बधाई दी और फिजियोंथेरेपी की आवश्यकता, अस्थि रोगों के अतरिक्त स्पोर्ट्स मेडिसन, न्यूरो, कार्डियक, कैंसर, गाइनेक्लॉजी, आदि क्षेत्रों में बेहतर रोजगार के नए अवसरों से अवगत कराया और स्पेशियलाइज्ड उच्च शिक्षा जैसे एमपीटी आदि करने के लिए प्रेरित किया।
चिकित्सा विज्ञान के इतिहास पर हुआ कार्यक्रम, बोले पद्मश्री महेंद्र भंडारी-इतिहास पर चर्चा जरूरी
वाराणसी, भदैनी मिरर। चिकित्सा विज्ञान के इतिहास सोसाइटी का आईएमएस के आईएलटी सभाकक्ष में 20 दिसंबर को कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम में आईएमएस के प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, डॉक्टर और छात्र उपस्थित हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता आईएमएस के निदेशक प्रोफेसर एस.एन. शंखवार ने किया. कार्यक्रम का संचालन न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने किया.
चिकित्सा विज्ञान के इतिहास की चर्चा जरूरी
कार्यक्रम का उद्घाटन देश के जाने-माने किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन और रोबोटिक सर्जरी के प्रणेता पद्मश्री प्रोफेसर महेंद्र भंडारी ने ऑनलाइन किया. प्रोफेसर महेंद्र भंडारी को सुनने के लिए सभाकक्ष में बैठे सभी प्रोफेसर और छात्र उत्सुक दिखे. उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में भारत में किडनी ट्रांसप्लांट के इतिहास के बारे में बताया. उन्होंने एसजीपीजीआई लखनऊ में किए गए प्रथम किडनी ट्रांसप्लांट में आई दिक्कतों पर प्रकाश डाला. उन्होंने चिकित्सकीय क्षेत्र में हो रहे नित नए शोध को पढ़ने पर जोर दिया. उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के इतिहास पर चर्चा को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के इतिहास की जब हम चर्चा करते है तो न केवल हम अपने वरिष्ठ चिकित्सकों के योगदान याद करते है, बल्कि हम जिस संस्थान में है उनके भी गौरवपूर्ण इतिहास को हम जान जाते है. आने वाले मेडिकल के छात्रों को इतिहास जानना बेहद ही जरूरी है. मॉडर्न मेडिसिन के संकाय प्रमुख प्रो अशोक कुमार ने स्थेटोस्कोप के आविष्कार एवं विकास के बारे में रोचक व्याख्यान दिया.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने कहा कि यह बेहद ही सुखद क्षण है, जब हम आईएमएस के मॉडर्न मेडिसिन के सभी डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेंबर एक साथ बैठे है और चिकित्सा विज्ञान के इतिहास पर चर्चा कर रहे है. उन्होंने कहा कि इस सोसाइटी का लक्ष्य चिकित्सा विज्ञान में विभिन्न अविष्कार, इनकी कठिनाइयों और उनके इतिहास को जानना है.
प्रश्नोत्तरी का हुआ सत्र
कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी का सत्र भी रखा गया. प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने यह सत्र चिकित्सा विज्ञान के इतिहास पर था. ऐसे सत्रों से बच्चों में सीखने और पढ़ने का उत्साह बढ़ता है. इस सत्र में उपस्थित सभी छात्रों ने भाग लिया. जिसमें एमबीबीएस के दो छात्रों आयांशी और सौरभ यादव को क्विज में सबसे ज़्यादा नंबर लाने के लिए आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस. एन. शंखवार ने सम्मानित किया.
कौन है पद्मश्री महेंद्र भंडारी
देश के जाने-माने यूरोलॉजी और रोबोट सर्जरी के चिकित्सक डॉक्टर महेंद्र भंडारी 24 दिसंबर वर्ष 1945 में राजस्थान के जोधपुर में जन्मे है. चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2000 के पद्मश्री से सम्मानित किया गया. वर्तमान समय में अमेरिका में रह रहे डॉ.महेंद्र भण्डारी मूत्रविज्ञान, चिकित्सा प्रशिक्षण, अस्पताल प्रशासन, रोबोटिक सर्जरी और चिकित्सा नैतिकता की विशेषता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. श्री भण्डारी वर्तमान में डेट्रायट, एमआई में वॉटिकुटी यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ जैव-वैज्ञानिक और रोबोटिक सर्जरी अनुसंधान एवं शिक्षा निदेशक हैं. वे अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक यूरोलॉजी संगोष्ठी के संगोष्ठी समन्वयक रह चुके हैं. इसी के साथ वे 2010 से वट्टिकुट्टी फाउंडेशन के सीईओ भी हैं.
कार्यक्रम में प्रोफेसर समीर त्रिवेदी, प्रोफेसर एस.एस. चक्रवर्ती, प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रो गोपाल नाथ, प्रोफेसर चंचल, प्रोफेसर दीपक गौतम सहित कई शिक्षक और छात्र मौजूद रहे.