वाराणसी, भदैनी मिरर। अध्यापिका की हत्या के 14 साल पुराने मामले में उसकी 8 बेटी इशिता का बयान आरोपियों को सजा तक पहुंचा दिया. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सपना शुक्ला की अदालत ने डुडुवां (मीता का पुरा) निवासी पति राजेश कुमार, देवर रजनीश व सास चंपा देवी और उमरहा के सतीश कुमार को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. इसके साथ ही अदालत ने पति को 1लाख 1 हजार, सास को 51 हजार, देवर और सतीश को 56- 56 हजार अर्थदंड से भी दंडित किया है.



अभियोजन पक्ष के अनुसार गाजीपुर के खानपुर थाना क्षेत्र के करनपुर निवासी बलिराम राम ने चौबेपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. बलिराम के अनुसार उनकी बेटी किरनवाला की शादी वर्ष 1999 में डुढुवां (मीता का पुरा) निवासी राजेश कुमार के साथ हुई थी. राजेश जूनियर हाईस्कूल धौरहरा में अध्यापक था. किरनवाला जूनियर हाईस्कूल डुडुवां में सहायक अध्यापिका थी.


23 अप्रैल 2011 को बलराम को उनकी बेटी किरनबाला की सहेली साधना देवी ने सूचना दी कि किरनवाला घर पर नहीं है. बेटी के कमरे में गए तो वहां दो स्थान पर अधिक मात्रा में खून जमीन पर गिरा दिखाई दिया और दो हसिया भी मिली. दोनों हंसिया में खून लगा हुआ था. अपराह्न तीन बजे सूचना मिली कि ग्राम सरैया के पास गोमती नदी में एक महिला का शव पड़ा है. शव को निकाला गया तो उसकी पहचान किरनबाला के रूप में हुई.



वहीं, इस पूरे प्रकरण में कोर्ट में किरनबाला की बेटी इशिता का बयान महत्वपूर्ण साबित हुआ. कोर्ट को इशिता ने बताया कि उसकी मां किरनवाला को उसके पिता और अन्य लोग दूसरे कमरे में ले गए. वह कमरे की ओर गई तो उसके दादा डांट कर भगा दिए, जब सुबह वह कमरे में गई तो उसकी मां के खून से सने कपड़े, खून और दो हंसिया मिली. जब उसने मां के बारे में पूछा तो किसी ने इसका जवाब नहीं मिला. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने और साक्ष्य के अवलोकन के बाद दोषी पाते हुए सजा सुनाई.

