{"vars":{"id": "125128:4947"}}

वाराणसीः मनरेगा संशोधन विधेयक के खिलाफ मजदूरों-किसानों ने निकाली रैली, VB-G RAM G  बिल की प्रतियां जलाईं 

मनरेगा में महात्मा गांधी का नाम यथावत रखने और विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग

 

साझा संस्कृति मंच की अगुवाई में निकली रैली, शास्त्री घाट पर सभा

वाराणसी, भदैनी मिरर। साझा संस्कृति मंच के नेतृत्व में शुक्रवार को शास्त्री घाट (वरुणापुल कचहरी) पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में प्रस्तावित बदलावों के विरोध में रैली निकाली और बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया। सभा में ग्रामीण क्षेत्रों से आए सैकड़ों मजदूरों, किसानों, महिलाओं और सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने हिस्सा लिया।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/73cb4ZOgq-4?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/73cb4ZOgq-4/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="YouTube video player" width="560">

प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के VB-G RAM G विधेयक को मजदूर-विरोधी करार देते हुए इसके खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। सभा में विधेयक की प्रतियां जलाकर कड़ा विरोध दर्ज किया गया। इसके बाद उपस्थित लोगों ने रैली निकाली और जिला मुख्यालय तक मार्च करते हुए राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

वक्ताओं ने सभा में कहा कि मनरेगा ग्रामीण भारत के लिए सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार है। कोविड-19 महामारी जैसे संकट में इसने लाखों परिवारों को भुखमरी से बचाया। नए विधेयक से रोजगार की सार्वभौमिक गारंटी खत्म हो जाएगी, बजट सीमित कर दिया जाएगा और क्षेत्रों को केंद्र की अधिसूचना पर निर्भर बनाया जाएगा। इससे पंचायतों की स्वायत्तता कमजोर होगी और सत्ता का केंद्रीकरण बढ़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि विधेयक वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सभा के दौरान विरोध में शामिल लोग “मनरेगा में गांधी का नाम नहीं हटेगा! “रोजगार गारंटी लागू करो!, कॉर्पोरेट राज वापस जाओ! जैसे नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे। 

ज्ञापन में मुख्य मांगें 

- मनरेगा में महात्मा गांधी का नाम यथावत रखा जाय।
- विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजा जाय।
- अधिसूचना से क्षेत्र सीमित करने की व्यवस्था वापस ली जाय।
- खेती के मौसम में 60 दिन का ब्लैकआउट पीरियड खत्म किया जाय।
- बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण अनिवार्य न हो।
- मजदूरी का बोझ राज्यों पर न डाला जाय।
- पंचायतों की स्वायत्तता बहाल की जाय।

सभा में आशा राय, अनिता, सोनी, मनीषा, रेनू सरोज, वंदना, पूजा, झुला रामजनम, अफलातून, डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, नंदलाल मास्टर, रंजू, रामधीरज, एकता, रवि, संध्या सिंह, धनंजय, रौशन, शाश्वत, जितेंद्र, ईश्वर चंद्र, अर्पित, दिवाकर, राजेश, गौरव, सुमन, मुस्तफा, नीति पंचमुखी आदि शामिल हुए।