वाराणसी : मंडुवाडीह थाने के पूर्व इंस्पेक्टर के घूस मांगने के मामले का यूपी गृह विभाग ने लिया संज्ञान
पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर शुरू हुई कार्रवाई
एंटी करप्शन टीम ने मंडुवाडीह थाने के दरोगा और दीवान को घूस लेते किया था रंगेहाथ गिरफ्तार
वादी गोलू ने इंस्पेक्टर भरत उपाध्याय पर लगाये थे गंभीर आरोप, नहीं हुई कोई कार्रवाई
वाराणसी, भदैनी मिरर। मंडुवाडीह थाने के पूर्व इंस्पेक्टर भरत उपाध्याय पर लगे घूस मांगने के आरोप का गृह विभाग उत्तर प्रदेश शासन ने संज्ञान लिया है। इस मामले में पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने भरत उपाध्याय के मामले में पुलिस कमिश्नर वाराणसी मोहित अग्रवाल की भूमिका के संबंध में शासन को शिकायत भेजी थी।
अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा था कि भुक्तभोगी आकाश गुप्ता उर्फ गोलू की शिकायत पर मडुआडीह थाने के एक सिपाही और दरोगा की एंटी करप्शन टीम द्वारा गिरफ्तारी के समय भी आकाश गुप्ता ने मौखिक रूप से भरत उपाध्याय पर 50000 रूपए मांगे जाने और 35000 रुपए ले लेने के आरोप लगाए थे। किंतु उस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। मात्र औपचारिकता निभाते हुए भरत उपाध्याय को लाइन हाजिर कर दिया गया था। बाद में उन्हें डायल 112 इंचार्ज बनाने पर वाराणसी पुलिस ने आकाश गुप्ता को ही साक्ष्य नहीं उपलब्ध कराने का दोषी बता दिया। जबकि इसके विपरीत सत्यता यह है कि आकाश गुप्ता ने भारत उपाध्याय द्वारा पूर्व में प्रतिवादी के सामने मारपीट करने सहित 50000 मांगने और 35000 पाने के संबंध में पूरे विस्तार के साथ अपना लिखित बयान दिया है जिससे उनके आरोप प्रमाणित होते हैं।
इस मामले में गृह पुलिस सेवाएं अनुभाग दो के अनुसूचित मनोज कुमार पांडेय द्वारा भेजे पत्र में अमिताभ ठाकुर को शिकायत के संबंध में शपथपत्र व साक्ष्य शासन को शीघ्र उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले 27 जनवरी को मंडुवाडीह इलाके में एंटी करप्शन टीम ने एक दरोगा और सिपाही को 15,000 रुपये घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। एंटी करप्शन टीम दोनों पुलिसकर्मियों को कैंट थाने ले गई और दोनों के खिलाफ केस भी दर्ज कराया। उस समय भुक्तभोगी ने मंडुवाडीह इंस्पेक्टर भरत उपाध्याय पर भी घूस लेने के गंभीर आरोप लगाये थे।
यह था मामला.
मंडुआडीह थाना क्षेत्र के बौलिया निवासी आकाश उर्फ गोलू गुप्ता ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ विजिलेंस में शिकायत दर्ज कराई थी। गोलू ने आरोप लगाया कि मेरे सैलून के पास शराब की दुकान है। रात में दो लोग आए और शराब की दुकान का गेट पीटने लगे। इस पर दुकान का मैनेजर गाली देते हुए बाहर आया। उसने गाली देने के विरोध किया तो मैनेजर अपने पांच साथियों के साथ मिलकर मारपीट करने लगा। आसपास के लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद उसने अगले दिन 17 तारीख को मुकदमा दर्ज कराया। फिर उसे एसएचओ के आफिस बुलाया गया। वहां पहले से दरोगा अभय नाथ तिवारी और हेड कांस्टेबल शक्ति सिंह यादव एवं तीन सिपाही मौजूद थे। तीनों उसे मैनेजर के सामने ही मारने लगे। मैंने बताया कि आप कैमरा चेक कर लीजिए मैं दुकान के पास नहीं गया था। पुलिस ने कहा कि तुमने मारपीट की है। इसके बाद उसकी फिर पिटाई की गई। बाद में मेरे भाई को भी थाने बुलाया गया और 50 हजार रुपये की मांग की गई। किसी तरह से 35 हजार रुपये में मामला डील किया गया। गोलू ने आरोप लगाया कि एसएचओ भरत उपाध्याय को 35 हजार रुपया दिया गया। जमानत कराने के लिए हम लोग गए तो विवेचक ने अलग से रुपये की डिमांड की। हमलोग हजार रूपये देने को तैयार हुए तो 15 हजार की मांग की गई। विवेचक ने कहाकि तुम मुझे 15 हजार रुपया नही दोगे तो तुम्हारे पास से असलहा दिखा कर जेल भेजूंगा। मुकदमे में तुम्हारे खिलाफ धारा बढ़ाई जाएगी। इसके बाद गोलू ने एंटी कनप्शन विभाग में शिकायत की। फिर 15 हजार रूपये देने के लिए पहुंचा तो वहां दरोगा अभय नाथ तिवारी एवं हेड कांस्टेबल मौजूद थे। विजिलेंस ने पहले ही प्लानिंग के साथ उसे दरोगा के पास भेजा थे। रूपये लेते ही टीम ने दरोगा और सिपाही को पकड़ लिया। इस मामले में दरोगा और सिपाही पर तो कार्रवाई हुई लेकिन तत्कालीन इंस्पेक्टर भरत उपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई नही हुई। जबकि इंस्पेक्टर पर गंभीर आरोप लगे थे।