{"vars":{"id": "125128:4947"}}

वाराणसी रोपवे: बिजली गुल होने पर भी स्टेशन तक पहुंचेगा गंडोला, रात में भी होगा संचालन, आ गया संचालन का डेट 

148 गंडोला, 5 स्टेशन और 29 टावर होंगे तैयार, तेज हवा में धीमी होगी स्पीड, हाईटेक सुरक्षा सिस्टम

 

नए साल 2026 से शुरू होगा एशिया का पहला अर्बन रोपवे

किराया रहेगा कम, बनेगा बजट होटल और कॉमर्शियल हब

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी को नए साल 2026 में एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है। एशिया का पहला अर्बन रोपवे, जो कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक चलेगा, अब संचालन के लिए लगभग तैयार है। रविवार को वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग और प्रोजेक्ट डायरेक्टर पूजा मिश्रा ने इसकी खासियतों की जानकारी दी।


बिजली नहीं तो भी स्टेशन तक पहुंचेगा गंडोला


अधिकारियों ने बताया कि रोपवे में यूरोपियन स्टैंडर्ड की हाईटेक सुरक्षा तकनीकें लगाई गई हैं। अगर बिजली गुल हो गई, तो भी गंडोला अपनी आंतरिक बिजली आपूर्ति से नजदीकी स्टेशन तक पहुंच जाएगा। तेज हवा चलने पर यह अपने आप धीमा हो जाएगा और बीच रास्ते में कहीं नहीं रुकेगा।


रात में भी होगा संचालन


रोपवे का संचालन दिन के साथ-साथ रात में भी किया जा सकेगा। गंडोलों में एसी और अन्य सुविधाएं दी गई हैं ताकि यात्रियों को गर्मी से राहत मिल सके। कंट्रोल रूम से हर गतिविधि की निगरानी होगी और सुरक्षा के लिए तीन लेयर वाली प्रणाली बनाई गई है।


148 गंडोला और 29 टावर


यह प्रोजेक्ट कुल 3.8 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर (टेक्निकल स्टेशन) और गोदौलिया समेत 5 स्टेशन होंगे। इसके लिए 29 टावर बनाए गए हैं और सबसे ऊंचा टावर 160 फीट का होगा।


दिसंबर तक सुरक्षा जांच


वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि दिसंबर तक सभी सुरक्षा जांच और लोड टेस्टिंग पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद 148 गंडोलों का ट्रायल चलाकर जनवरी 2026 से इसे आम जनता के लिए खोला जाएगा।

किराया रहेगा कम, बनेगा बजट होटल


रोपवे का किराया आम लोगों की पहुंच में रहेगा। इसके साथ ही सभी स्टेशनों पर लगभग 2 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां होंगी। यहां बजट होटल, दुकानें और अन्य कॉमर्शियल गतिविधियां शुरू होंगी। आवंटन की प्रक्रिया नीलामी के जरिए की जाएगी।


पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा


3.8 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट पर 815.58 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। रोपवे प्रति घंटे करीब 3,000 यात्रियों को ले जा सकेगा, यानी 16 घंटे में 96 हजार लोगों का आवागमन संभव होगा। यह क्षमता गुलमर्ग रोपवे से 2.5 गुना अधिक है।


सुरक्षा और टेक्नोलॉजी


इसमें हाई पावर ड्राइव्स, स्टैंडबाई सिस्टम्स, बड़े टर्मिनल, एडवांस्ड कंट्रोल सिस्टम और बेहतर रेस्क्यू मैकेनिज्म लगाए गए हैं। आपात स्थिति के लिए तीन परत वाली सुरक्षा बनाई गई है।