वाराणसी: स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित ‘क्रांतिकारी पंचांग 2026’ का हुआ लोकार्पण, बाबू जगत सिंह कोठी को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की उठी मांग
पद्म भूषण राम बहादुर राय ने कहा-“इतिहास वर्तमान को अतीत से जोड़ता है”
कार्यक्रम में शोधकर्ताओं और इतिहासकारों ने बाबू जगत सिंह के योगदान पर डाला प्रकाश
वाराणसी,भदैनी मिरर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरवशाली विरासत को समर्पित क्रांतिकारी पंचांग – 2026 का शुक्रवार को वाराणसी स्थित बाबू जगत सिंह कोठी में लोकार्पण किया गया। मातृभूमि सेवा संस्था द्वारा जारी किए गए इस सातवें वार्षिक पंचांग के विमोचन समारोह में इतिहास, शोध और स्वतंत्रता आंदोलन पर महत्वपूर्ण विचारों की धारा प्रवाहित हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती शिशु मंदिर की छात्राओं द्वारा वंदे मातरम से हुई। मुख्य अतिथि पद्म भूषण राम बहादुर राय ने बाबू जगत सिंह के योगदान को राष्ट्र के इतिहास का अभिन्न अध्याय बताते हुए उनके आवास जगत सिंह कोठी को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग उठाई।
उन्होंने कहा -“इतिहास वर्तमान को अतीत से जोड़ता है और भविष्य की दृष्टि देता है। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े अनाम क्रांतिकारियों को खोजने का समय अब है। बाबू जगत सिंह की गाथा इसी दिशा में एक पथप्रदर्शक है।”
राम बहादुर राय ने 1799 में काशी में हुए स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि बहुत कम लोग इस ऐतिहासिक घटना से परिचित हैं। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों को बाबू जगत सिंह को गिरफ्तार करने में दो महीने का समय लगा, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका प्रभाव कितना व्यापक था।
उत्कृष्ट शोध की सराहना
इस अवसर पर मातृभूमि सेवा संस्था के संस्थापक और राष्ट्रीय सचिव राकेश कुमार ने कहा कि शोध तब ही पूर्ण होता है जब हम क्रांतिकारियों के घरों तक पहुंचें। उन्होंने बताया कि प्रदीप नारायण सिंह ने अपनी छठी पीढ़ी के इतिहास को संजोते हुए नये शोध को सार्वजनिक किया है।
विशिष्ट अतिथि और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने आयोजन की सराहना करते हुए सहयोग का आश्वासन दिया।
इतिहासकारों की उपस्थिति और विचार
इतिहासकार और पुस्तक लेखक डॉ. हामिद आफाक कुरैशी ने बाबू जगत सिंह को सर्वगुण संपन्न व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि शीघ्र ही उनके व्यक्तित्व पर आधारित एक और पुस्तक प्रकाशित की जाएगी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष भंते डॉ. के. सिरी सुमेध थेरो ने कहा -“मातृभूमि स्वर्ग से भी महान है। काशी और सारनाथ से जुड़े अनेक ऐतिहासिक उल्लेख बौद्ध ग्रंथों में मिलते हैं, जिनका अध्ययन बेहद आवश्यक है।”
डिजाइनिंग और आयोजन टीम की भूमिका
संस्था के न्यासी चंद्रकांत ने बताया कि क्रांतिकारी पंचांग की डिजाइनिंग में राष्ट्रीय संयोजक संजय कुमता का योगदान महत्वपूर्ण रहा।
अतिथियों का स्वागत प्रदीप नारायण सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र कुमार दूबे द्वारा किया गया।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इतिहासकार, शिक्षाविद, समाजसेवी और शहर के सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से- डॉ. नागेंद्र पांडेय, अशोक आनंद, पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह, प्रो. उपेंद्र मणि त्रिपाठी, प्रो. ध्रुव कुमार, प्रो. अरविंद जोशी, चित्रकार मनीष खत्री, चार्टर्ड अकाउंटेंट शिशिर बाजपेई समेत अन्य गणमान्य शामिल रहे।
कार्यक्रम स्थान पर उत्साह, शोध और राष्ट्रीय गर्व की भावना ने वातावरण को प्रज्ज्वलित किया।