{"vars":{"id": "125128:4947"}}

वाराणसी : उन्नाव रेप कांड के खिलाफ कचहरी पर निकला प्रतिरोध मार्च-सत्ता, प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर उठे सवाल

दखल संगठन की महिलाओं ने कहा-कुलदीप सेंगर पर अदालत के फैसले ने समाज को किया निराश

 

अम्बेडकर पार्क में महिलाओं ने पीड़ित परिवार को न्याय के लिए उठाई  आवाज

वाराणसी, भदैनी मिरर। उन्नाव रेप कांड में उम्रकैद काट रहे बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा स्थगित करने और जमानत के विरोध में शुक्रवार को दखल संगठन ने बाहों पर काली पट्टी बांधकर प्रतिरोध मार्च निकाला। कहाकि न्यायल के इस तरह के फैसलों से न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर होता है। बलात्कारियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

कचहरी स्थित अम्बेडकर पार्क में दखल संगठन के आह्वान पर उन्नाव रेप कांड में उम्र कैद काट रहे भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर को केस में छूट दिए जाने पर महिलाओं ने आक्रोश व्यक्त किया। अम्बेडकर पार्क में जुटी महिलाओं ने काली पट्टी बांधकर जिला मुख्यालय तक प्रतिरोध मार्च निकाला, और लैंगिक हिंसा, उत्पीड़न, बलात्कार के खिलाफ नारे लगाए। मार्च में शामिल एकता ने बताया कि उन्नाव रेप कांड उत्तर प्रदेश के सबसे जघन्य और चर्चित मामलों में से एक रहा है। इसने सत्ता, पुलिस और न्याय व्यवस्था की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की के साथ तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने बलात्कार किया। पीड़िता और उसके परिवार को धमकियां दी गईं, झूठे मुकदमे, और हिंसा का सामना करना पड़ा। पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत भी हो गई। इसके बाद 2019 में पीड़िता के साथ हुए संदिग्ध कार हादसे में उसकी दो चाचियों की मौत हुई। वकीलों तक को धमकियां मिली। भारी जनदबाव और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया और जांच दिल्ली स्थानांतरित हुआ। उन्नाव में यह दबंगई और दमन खुलेआम होती रही।

प्रतिरोध मार्च में शामिल नारीवादी कार्यकर्ता स्मिता ने बताया कि वर्ष 2020 में दिल्ली की अदालत ने कुलदीप सेंगर को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। अभी उच्च न्यायालय ने सेंगर की सजा में स्थगन आदेश जारी किया है। जागृति राही ने कहाकि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में सजा के स्थगन आदेश का प्रतिरोध करने की बात कही है जो स्वागत योग्य है। लेकिन सत्ता, प्रशासन और पार्टी के इस गठजोड़ में पिस रही पीड़िता और महिला अस्मिता को लेकर चिंता बढ़ गई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, सत्ता में बैठी भाजपा में उन सांसदों और विधायकों की संख्या सबसे अधिक (54) है जिनके खिलाफ महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामले दर्ज हैं। हम बानगी के तौर पर हम प्रज्वल रेवन्ना (पूर्व सांसद) का नाम ले सकते हैं। इन साहब ने एक महिला से बार-बार बलात्कार किया और अश्लील वीडियो बनाया। कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा दी। यूपी के बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का मामला खूब चर्चित रहा। आशाराम, रामरहीम आदि कई बाबाओं की भी लंबी सूची है, जिन्होंने अपने आश्रमों में बलात्कार किए और लड़कियों को कैद करके रखा। यहीं बनारस आईआईटी बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप के सभी आरोपित भाजपा सोशल मीडिया टीम के पदाधिकारी रहे। रेप करने के बाद बनारस से भागकर मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार तक में शामिल रहे।

यह सब दर्शाता है कि जब आरोपी सत्ता में होता है, तो पीड़िता को न्याय पाने के लिए कितनी लंबी और दर्दनाक लड़ाई लड़नी पड़ सकती है। उन्नाव रेप कांड से लेकर आईआईटी बीएचयू गैंगरेप तक, यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता और महिलाओं के खिलाफ संरचनात्मक हिंसा का प्रतीक बनकर आज की तारीख में देश और समाज के सामने खड़़े हैं। संगठन ने मांग की है कि दोषी कुलदीप सेंगर को किसी भी प्रकार की राहत या विशेष सुविधा न दी जाय। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। वैसे ही वह परिवार अत्यंत परेशानियां पहले ही झेल चुका है। उन्होंने कहाकि जब तक महिलाओं को बिना डर के न्याय नहीं मिलेगा, तब तक ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज़ उठती रहेगी। कार्यक्रम का संचालन मैत्री ने किया। प्रतिरोध मार्च और सभा में प्रमुख रूप से नीति, मैत्री, जागृति राही, आर्या, टैन, एकता, सुजाता, स्मिता, प्रियंका, धनंजय, रूमान, अनूप, रवि, कृष्णा, सिस्टर फ्लोरीन मुकेश, अरविंद, कमलेश आदि रहे।