Varanasi: काली मठ के तीन दिवसीय संगीत महोत्सव के पहले दिन भरत शर्मा व्यास ने देवी गीतों से बांधा समां
लक्ष्मीकुंड स्थित प्राचीन काली मठ में मां काली का श्रृंगार और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से गुंजा प्रांगण, कलाकारों ने देवी गीत, वादन और कथक नृत्य से बांधा समां।
Sep 16, 2025, 12:20 IST
वाराणसी, भदैनी मिरर। लक्ष्मीकुंड स्थित प्राचीन काली मठ में सोमवार से तीन दिवसीय भव्य संगीत महोत्सव और मां काली का श्रृंगार उत्सव आरंभ हुआ। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण देवी भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुंजायमान रहा।
पहली निशा की शुरुआत में भोजपुरी सम्राट भरत शर्मा व्यास ने मां काली के चरणों में देवी गीतों की संगीतमय अर्चना की। उन्होंने “जीभ लटकल होई मुंड के माला, देखिह भवानी माई रूप होई काला” गीत से प्रस्तुति की शुरुआत की तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। इसके बाद उन्होंने “जवने गांव कालो माई के मंदिर नाहीं, उ गांव बेकार बा” और “निमिया के डार मैया झूलन झुलेली” जैसे गीत प्रस्तुत किए, जिन पर श्रोता झूम उठे।
मां काली का श्रृंगार और पूजा-अर्चना
महोत्सव के प्रथम दिन मां काली का पंचामृत स्नान कराया गया। मुख्य पुजारी पं. विकास दुबे (काका गुरु) ने माता की आरती उतारी, जबकि महंत पं. ठाकुर प्रसाद दुबे ने माता को आभूषण और फूलों से अलंकृत किया। 11 ब्राह्मणों ने वैदिक मंगलाचरण का पाठ किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजा महोत्सव
कार्यक्रम की शुरुआत शहनाई की मंगल ध्वनि से हुई, जिसमें पं. जवाहरलाल और साधी कलाकारों ने देवी गीतों की धुन छेड़ी। पं. सुखदेव मित्र (वायलिन), डॉ. सत्यवर प्रसाद (मृदंगम), अमरेंद्र मिश्र (सितार), श्रीकांत मिश्र (तबला) ने वाद्ययंत्रों से ताल-वाद्य कचहरी की प्रस्तुति दी।
पं. माता प्रसाद मिश्रा और पं. रुद्रशंकर मिश्र ने “या देवी सर्वभूतेषु जय जय जग जननि भवानी” पर कथक नृत्य के माध्यम से मां काली को नमन किया। तबले पर उदय शंकर मिश्र और हारमोनियम पर शक्ति मिश्रा ने संगत की।
लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतिया
लोक गायिका ज्योति माही ने “हे काली मां, तुन्हीं ना सुनबू तो कौन सुनेगा” प्रस्तुत किया। गीतांजलि मौर्य ने “जय जगदंबे जय मां काली”, राजेश तिवारी रतन ने “महाकाल के काल भइल” और उजाला विश्वकर्मा ने “झूला झूले मोर मइया काली” गाकर वातावरण भक्तिरस से भर दिया। अदिति शर्मा ने महिषासुर मर्दिनी पर भाव नृत्य पेश किया।
अन्य कलाकारों में कुमार विनीत, पारुल नंदा और सृष्टि शर्मा ने भजनों की प्रस्तुति दी। तबले पर सुधांशु राजपूत, ढोलक पर मोती शर्मा व विशाल शर्मा, बेंजो पर जियाराम, पैड पर शेखर विवेक और कीबोर्ड पर नीरज पांडे ने संगत की।
कलाकारों का स्वागत स्मृति चिन्ह और प्रसाद देकर महेश पांडेय, रवि पांडेय गुड्डू, विनोद कुमार उन्नी, जितेंद्र प्रजापति और पारस पांडेय ने किया।